
नई दिल्ली, 20 जून (Udaipur Kiran) । विद्या भारती देशभर में गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और मूल्याधारित शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय है। संस्था वर्तमान में 684 जिलों में 12,118 विद्यालयों का संचालन कर रही है, जहाँ 35 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। विद्या भारती आधुनिक तकनीक, भारतीय ज्ञान परंपरा और नैतिक मूल्यों के समन्वय से शिक्षा को राष्ट्रीय पुनर्जागरण का माध्यम मानती है। साथ ही पंच परिवर्तन योजना के तहत संस्था सामाजिक समरसता, आत्मनिर्भरता और नारी सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दे रही है।
विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान ने शुक्रवार को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में अपनी वार्षिक प्रेस वार्ता का आयोजन किया।पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष डॉ रविन्द्र कान्हेरे ने बताया कि विद्या भारती संस्था राष्ट्र निर्माण हेतु समावेशी और मूल्याधारित शिक्षा पर बल देती है।
डॉ रविन्द्र कान्हेरे ने बताया कि विद्या भारती ने एआई-सक्षम लर्निंग प्लेटफॉर्म, डिजिटल क्लासरूम और अटल टिंकरिंग लैब्स के माध्यम से आधुनिक तकनीक को शिक्षा में समाहित किया है। उन्होंने कहा कि संस्था एनईपी 2020 के अनुरूप पंचकोश व पंचपदी पद्धति को अपनाते हुए बाल शिक्षा में तनाव-मुक्त, संस्कारयुक्त शिक्षण दे रही है। लगभग 10 हजार शिशु वाटिकाएँ प्रारंभिक बाल शिक्षा का कार्य कर रही हैं।
कान्हेरे ने बताया कि संस्था के आईटीआई, स्किल हब और जन शिक्षण संस्थान युवाओं को रोजगारपरक कौशल प्रदान कर रहे हैं। कारगिल, शिमला, मंडी और किफिरे जैसे दुर्गम क्षेत्रों में भी इनकी उपस्थिति है। 2024-25 की बोर्ड परीक्षाओं में 12वीं के 93 प्रतिशत और 10वीं के 96.5 प्रतिशत विद्यार्थी सफल हुए हैं। इस बार यूपीएससी में 27 से अधिक पूर्व छात्रों ने सफलता पाई है।
उन्होंने कहा कि जनजाति, ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों में कम शुल्क वाले विद्यालयों की स्थापना के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी बच्चा आर्थिक या सामाजिक बाधाओं के कारण शिक्षा से वंचित न रह जाए।
उन्होंने कहा कि विद्या भारती ने पंच परिवर्तन के माध्यम से सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य बोध और आत्मनिर्भरता को भावी दिशा के रूप में प्रस्तुत किया। बालिकाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण पर विशेष बल दिया गया। साथ ही उन्होंने बताया कि मणिपुर में समस्याओं के बाद ‘स्कूल ऑन व्हील’ बनाए गया है। ताकि बच्चे शिक्षा से पीछे न रहें जाए।
संस्थान के महासचिव देशराज शर्मा ने बताया कि विद्या भारती की स्थापना 1952 में गोरखपुर से हुई थी और यह आज देश के सबसे बड़े शैक्षिक आंदोलनों में शामिल है। इसके विद्यालय जनजातीय, सीमावर्ती और शहरी सेवा बस्तियों जैसे वंचित क्षेत्रों में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि संस्था देशभर में 8,000 से अधिक अनौपचारिक शिक्षा केंद्रों का संचालन कर रही है। साथ ही 1.53 लाख शिक्षक विद्यार्थियों को शिक्षित कर रहे हैं और 10.30 लाख से अधिक पूर्व छात्र संगठन से पंजीकृत हैं।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
