
जयपुर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के वाइस प्रिंसिपल को पदावनत कर वापस व्याख्याता लगाने के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, कार्मिक सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश सत्यनारायण की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को 28 फरवरी, 2023 को व्याख्याता से वाइस प्रिंसिपल पद पर पदोन्नत किया गया था। तब से याचिकाकर्ता वाइस प्रिंसिपल पद का काम करता चला आ रहा है। इस दौरान विभाग ने जुलाई, 2024 में काउन्सलिंग कर उसे इस पद पर नियमित नियुक्ति देते हुए दूसरी स्कूल में कार्य ग्रहण करवा दिया। याचिका में कहा गया कि गत 28 मई को विभाग ने उसकी पदोन्नति को यह कहते हुए निरस्त कर दी कि उसे पूर्व में कम परिणाम लाने के चलते परिनिन्दा का दंड दिया गया था। ऐसे में उसे पदोन्नत नहीं किया जा सकता था। इसके बाद विभाग ने उसे व्याख्याता पद पर नियुक्ति देने के लिए पांच जुलाई को एपीओ कर दिया। इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि उसे पदावनत और एपीओ करने से पूर्व सुनवाई का मौका नहीं दिया गया, जो कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। इसके अलावा किसी कर्मचारी को परिनिंदा के दंड के आधार पर पदोन्नति से वंचित नहीं किया जा सकता है। इसलिए उसके पदावनत आदेश और एपीओ आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को पदावनत करने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
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(Udaipur Kiran) / अखिल
