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कावड़ यात्रा के संबंध में उप्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विहिप ने की सराहना

विहिप का लोगो

नई दिल्ली, 1 जुलाई (Udaipur Kiran) । विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने कावड़ यात्रा के संबंध में उप्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है। जैन ने कहा कि राष्ट्रीय एकता, समरसता और एकात्मता की प्रतीक इस यात्रा का सभी मत-पंथ संप्रदाय व धर्मों के लोगों को ना सिर्फ खुले मन से स्वागत करना चाहिए अपितु, कावड़ यात्रियों के संवैधानिक अधिकारों की भी रक्षा करनी चाहिए।

जैन ने आगे कहा कि लगभग 8 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष इस पवित्र यात्रा में भाग लेते हैं। यह यात्रा आस्था के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता, समरसता और एकात्मता का प्रतीक बन चुकी है।

डॉ सुरेन्द्र जैन ने कहा कि इस यात्रा का समाज के सभी वर्गों के द्वारा भरपूर स्वागत होना चाहिए। यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं जुटानी चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक के रास्ते में कई बार इन यात्रियों पर हमले होते थे, जान से मार दिया जाता था। इतना ही नहीं मल-मूत्र और मांस के टुकड़े फेंक कर कावड़ को अपवित्र किया जाता था। यात्रा रोक दी जाती थी। सेकुलर सरकारें जिहादी हमलावरों के संरक्षण पर खड़ी होती थी। यात्रियों की आस्थाओं का उनके लिए कोई अर्थ नहीं होता था।

आगे उप्र सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत करते हुए जैन ने कहा कि योगी सरकार आने के बाद यात्रियों और उनके सम्मान की सुरक्षा के लिए कुछ नियम बनाए गए और उसका परिणाम हमलावर समाज पर भी दिखाई दिया। कुछ विशेष समुदाय ने स्वागत करना शुरू किया परंतु जेहादियों ने एक नया प्रकार खोज लिया। थूक कर रोटियां बनाना, जूस में पेशाब मिलाना, अपने नाम व पहचान छुपा कर हिंदू नाम से दुकान खोलकर हलाल के समान के साथ यात्रियों को भोजन भी देना। इससे हिंदुओं की आस्थाएं अपमानित होती थीं। यह यात्रियों का अधिकार है कि जिस दुकान से वह सामान ले रहे हैं, वह दुकान किनकी है।

उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि जब ऐसा कोई भी विषय आता है तो कुछ लोग तुरंत न्यायपालिका में जाते हैं और कोई एक जज अपने व्यक्तिगत संस्कार और विचारों के आधार पर तुरंत स्टे दे देता है। इससे न्यायपालिका की आलोचना भी शुरू हो जाती है। अंत में उन्होंने कहा कि संविधान के धारा 25 और 26 हिंदुओं के अधिकारों के लिए भी हैं। स्थानीय परिस्थितियों, हिंदुओं की भावनाओं तथा वहां की परिस्थितियों, इन सब का विचार करके ही निर्णय देना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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