
– ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री ने किया जनगान में सहभाग
गुवाहाटी, 07 नवम्बर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रवार काे जनता भवन में आयोजित भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित जनगान में भाग लिया। इस अवसर पर गीत का मूल स्वरूप में सामूहिक गायन किया गया, जिससे पूरे वातावरण में देशभक्ति और गर्व की भावना व्याप्त हो गई।
इस दाैरान सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ हर भारतीय के लिए गौरव का क्षण है। उन्होंने कहा, “आज हम उस पवित्र गीत को नमन् करने के लिए एकत्र हुए हैं जिसने कभी एक सुप्त राष्ट्र को जागृत किया, उसे साहस दिया और हर हृदय में स्वतंत्रता का अमिट स्वप्न बोया।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ का रचनाकाल 7 नवम्बर, 1875 (अक्षय नवमी) का दिन था, जब महान साहित्यकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने इस गीत की रचना की। उन्होंने कहा कि बंकिम चंद्र ने केवल कविता नहीं लिखी, बल्कि भारत माता के दिव्य स्वरूप का आह्वान किया – जो अपने बच्चों को साहस, ज्ञान और समृद्धि प्रदान करती है।
डॉ. सरमा ने कहा कि औपनिवेशिक अंधकार के दिनों में ‘वंदे मातरम’ ने देश के हृदय में आशा का दीप जलाया। यह गीत स्वतंत्रता, स्वाभिमान और जागरण का प्रतीक बना। उन्होंने स्मरण किया कि 1896 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कांग्रेस अधिवेशन (कलकत्ता) में इसे पहली बार गाया था और 1905 में बंग-भंग आंदोलन के दौरान यह स्वदेशी आंदोलन का घोष बन गया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि ब्रिटिश सरकार ने इस गीत को विद्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिबंधित किया था परंतु इसकी भावना को दबाया नहीं जा सका। उन्होंने तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल, भगत सिंह और नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसे महानायकों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने इस गीत की ज्वाला को स्वतंत्रता तक जलाए रखा। स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1950 में ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्रदान किया।
डॉ. सरमा ने कहा कि गीत में कुल छह पद हैं, जिनमें से केवल पहले दो ही आमतौर पर गाए जाते हैं। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि मूल रूप में पूरे गीत का गायन किया जाए, क्योंकि “सुजलां सुफलां मलयजशीतलां” जैसे प्रत्येक शब्द भारतभूमि की पवित्रता और सौंदर्य का प्रतीक हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने ‘वंदे मातरम्@150’ शीर्षक से वर्षभर चलने वाले कार्यक्रमों की घोषणा की है, जो 7 नवम्बर, 2026 तक जारी रहेगा। इस दौरान देशभर में जनगान, संगीत प्रस्तुतियां, पुलिस बैंड प्रदर्शन और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन केवल स्मरण का नहीं, बल्कि संकल्प का है। हमें आत्मनिर्भर असम और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का व्रत लेना है। उन्होंने कहा कि असम ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप ऊर्जा, हाइड्रोकार्बन और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने ‘वंदे मातरम’ के मंत्र के साथ देश को स्वतंत्र किया। अब हमें उसी उत्साह से अपनी अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है। मुख्यमंत्री ने हर परिवार, बाजार और संस्था से स्वदेशी भावना को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम केवल ‘वोकल बार लोकल’ तक सीमित न रहें – हमें ‘लोकल बार ग्लोबल’ बनना होगा, ताकि भारत में बने उत्पाद विश्वभर में गौरव का प्रतीक बनें।
मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि एक समय ऑल इंडिया रेडियो ने ‘वंदे मातरम’ के प्रसारण पर रोक लगा दी थी, जिसके विरोध में प्रसिद्ध गायक मास्टर कृष्णराव ने गायन से इनकार कर दिया था। 1947 में यह प्रतिबंध हटाया गया।
उन्होंने कहा कि आज भी कुछ मतभेदों के बावजूद ‘वंदे मातरम’ राष्ट्रीय एकता और सामंजस्य का शाश्वत प्रतीक बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने असम के नागरिकों से आह्वान किया कि वे एक स्वर में ‘वंदे मातरम’ गाकर राष्ट्र की एकता, अखंडता और स्वदेशी भावना को जीवनभर अपनाने का संकल्प लें।
इस अवसर पर मंत्री रंजीत कुमार दास, जयंत मल्ल बरुवा, चरण बोरो, मुख्य सचिव डॉ. रवि कोटा, अतिरिक्त मुख्य सचिव अजय तिवारी, बी. कल्याण चक्रवर्ती, एमएस मणिवन्नन सहित बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश