Uttrakhand

उत्तराखंड की बुनाई और हस्तशिल्प कलाओं की अपनी एक अनूठी विविधता है: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते।
मुख्यमंत्री  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  उत्तराखंड शिल्प रत्न पुरस्कार से सम्मानित करते।

-मुख्यमंत्री ने 11 लोगों को उत्तराखंड शिल्प रत्न पुरस्कार से किया सम्मानित

देहरादून, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के शिल्पियों और बुनकरों को राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के संवाहक बताते हुए कहा कि उत्तराखंड की बुनाई और हस्तशिल्प कलाओं की अपनी एक अनूठी विविधता है।

बुधवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने यहां हस्तशिल्प पर आधारित विभिन्न स्टॉल का निरीक्षण किया और 11 लोगों को उत्तराखंड शिल्प रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की बुनाई और हस्तशिल्प कला अपनी विविधता, परंपरागत डिज़ाइन और गुणवत्ता के कारण प्रसिद्ध है।

कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने हाल ही में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आई आपदा में दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि दी और प्रभावित परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास कार्यों को संवेदना और तेज गति से संचालित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर्षिल की ऊनी शाल,मुनस्यारी-धारचूला की थुलमा,अल्मोड़ा की ट्वीड, छिनका की पंखी और पिछौड़े के डिज़ाइन ने उत्तराखंड को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक बाजार में भी पहचान दिलाई है। उन्होंने बताया कि आज भांग एवं बांस के रेशों से बने वस्त्रों की देशभर में विशेष मांग देखी जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में “वोकल फॉर लोकल”, “लोकल टू ग्लोबल” और “मेक इन इंडिया” जैसी पहलें शिल्पियों और बुनकरों के सामाजिक-आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान जैसी योजनाओं के माध्यम से शिल्पियों और बुनकरों के समग्र विकास को सुनिश्चित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार भी शिल्पी पेंशन योजना,शिल्प रत्न पुरस्कार, बुनकर क्लस्टर सशक्तिकरण, कौशल विकास प्रशिक्षण,मेलों-प्रदर्शनियों एवं ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के प्रचार-प्रसार और विपणन को प्रोत्साहित कर रही है।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के स्वदेशी उत्पादों के उपयोग संबंधी आह्वान का स्मरण कराते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक यदि स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देगा तो यह कदम आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सशक्त बनाने के साथ-साथ शिल्पियों,कारीगरों और किसानों को भी नई ऊर्जा प्रदान करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तराखंड के शिल्पी और बुनकर अपनी रचनात्मकता और परंपरा से राज्य को आत्मनिर्भर और देश का अग्रणी राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

इन्हें किया गया सम्मानित

उत्तरकाशी से जानकी देवी,भागीरथी देवी,बागेश्वर से इन्द्र सिंह,अल्मोडा से लक्ष्मण सिंह,भुपेन्द्र सिंह बिष्ट,हल्द्वानी (नैनीताल) से जीवन चन्द्र जोशी,मोहन चन्द्र जोशी,नारायण नगर मल्लीताल नैनीताल से जानकी बिष्ट,क्वालिटी कॉलोनी हल्दूचौड़ हल्द्वानी से जगदीश पाण्डेय,चमोली से प्रदीप कुमार,गुड्डी देवी,उत्तरकाशी से महिमानन्द तिवारी शामिल थे।

इस अवसर पर उपाध्यक्ष उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद वीरेन्द्र दत्त सेमवाल, विधायक सरिता आर्य,सुरेश गड़िया,अध्यक्ष बाल आयोग डॉ.गीता खन्ना,सचिव उद्योग विनय शंकर पांडेय,महानिदेशक उद्योग डॉ.सौरभ गहरवार और प्रदेशभर से आए हस्तशिल्पी उपस्थित थे।

(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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