
नई दिल्ली, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । लोकसभा में बुधवार को भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर मामलों में जेल में बंद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केन्द्र व राज्य सरकारों के मंत्रियों को राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा उपराज्यपाल द्वारा हटाए जाने से जुड़े तीन विधेयक पेश करने के दौरान हंगामा हुआ। विधेयक को पेश करने की अनुमति के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जैसे ही वक्तव्य दिया, विपक्ष की ओर से उनकी तरफ पेपर उछाले गए। इसके बाद कार्यवाही को तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक, 2025; केंद्रशासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 तीन विधेयक विचार के लिए रखे। विधेयक पेश किए जाने का एआईएमआईएम के असद्दुदीन औवेसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, सपा के धर्मेन्द्र यादव और कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने विरोध किया। इन्होंने इसे संविधान के बुनियादी ढांचे, मूलभूत सिद्धांत, संसदीय लोकतंत्र के विरोध में बताया।
अमित शाह ने इस दौरान विपक्षी सांसदों के आरोपों का जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि विधेयक नैतिकता के मूल्य बने रहें, इसलिए लाया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे भी गुजरात में मंत्री रहने के दौरान जेल गए थे और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था। सभी आरोपों से मुक्त होने तक उन्होंने कोई संवैधानिक पद नहीं ग्रहण किया। साथ ही विधेयक को जल्दबाजी में लाए जाने पर शाह ने कहा कि विधेयकों को आगे विचार के लिए संयुक्त समिति को भेजा जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा
