
जयपुर, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने 859 पदों के लिए आयोजित एसआई भर्ती-2021 की संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के लिए कहा है। वहीं अदालत ने मामले में आरपीएससी की कार्यप्रणाली पर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए प्रकरण को जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भेजा है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश कैलाश चन्द्र शर्मा व अन्य की याचिकाओं पर फैसला देते हुए दिए। अदालत ने गत 14 अगस्त को सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने महाधिवक्ता को कहा है कि वह आरपीएससी को विस्तृत रिपोर्ट भेजकर भर्ती को लेकर आज तक की संपूर्ण प्रक्रिया को रद्द करने की सिफारिश करे। वहीं आयोग पूर्व के भर्ती विज्ञापन या साल 2025 के भर्ती विज्ञापन के तहत इन पदों को भरे। इस दौरान पूर्व भर्ती के अभ्यर्थियों को आयू सीमा में छूट दे। वहीं जिन अभ्यर्थियों ने पूर्व की सरकारी सेवा को छोडकर एसआई पद को स्वीकार किया है, उन्हें पुन: मूल पदों पर बहाल किया जाए।
अदालत ने कहा कि इस भर्ती के पेपर लीक होने में आरपीएससी के चेयरमैन सहित 6 सदस्यों की सक्रिय भूमिका भी सामने आई है। इससे साबित है कि घर के भेदियों ने ही लंका को ढहा दिया। भर्ती की गोपनीयता तब ही भंग हो गई थी, जब आरपीएससी के पूर्व सदस्य ने हाथ लिखित पेपर प्रिंटिंग प्रेस में पहुंचने से पहले ही लीक कर दिया था। आरपीएससी के पूर्व चेयरमैन संजय श्रोत्रिय के भी मामले में शामिल होने से इसकी गंभीरता बढती है। श्रोत्रिय ने ना केवल रामूराम रायका को उनके बेटे और बेटी के साक्षात्कारों से संबंधित भविष्य की कार्रवाई के बारे में निर्देश दिए, बल्कि खुद ने भी साक्षात्कार पैनल में सक्रिय तौर पर भाग लिया था। राज्य सरकार, एजी, उप मंत्रिमंडलीय समिति और एसओजी ने भी एसआई भर्ती- 2021 को पूर्व में रद्द करने की सिफारिश की थी। राज्य सरकार और एजी ने बाद में भी यह माना था कि इस भर्ती को भविष्य में रद्द किया जा सकता है। भर्ती रद्द नहीं हुई तो यह प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खडा कर सकती है।
नई भर्ती में शामिल करें पद- अदालत ने आरपीएससी से कहा कि वह इस पूरी प्रक्रिया को उसी विज्ञापन 3 फरवरी 2021 के तहत, या 17 जुलाई 2025 के विज्ञापन में वैकल्पिक व्यवस्था करे और इन पदों को नई भर्ती में शामिल करें। इसके अलावा 2021 की भर्ती में शामिल हुए अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी आयु पात्रता में छूट पर भी सकारात्मक रूप से विचार किया जाना चाहिए। आवेदकों को आगामी परीक्षा की तैयारी और परीक्षा में बैठने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए। वहीं आरपीएससी आगामी भर्ती में निष्पक्षता बनाए रखे।
आयोग की कार्यशैली पर प्रसंज्ञान- अदालत ने आरपीएससी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए इस संबंध में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है। वहीं इसे जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने का निर्देश देते हुए मामले को खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के लिए सीजे को भिजवा दिया है। अदालत ने कहा कि आरपीएससी की कमियां केवल एसआई भर्ती 2021 तक ही सीमित नहीं रही हैं, बल्कि अन्य भर्तियों में भी रही है। एसआईटी की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि भर्ती प्रक्रिया में कई कमियां रहीं और इसके सदस्यों ने ही इसके पेपर्स को प्रिंटिंग प्रेस तक पहुंचने से पहले ही लीक किया।
सही और गलत की छंटनी मुश्किल- अदालत ने कहा कि भर्ती में सही और गलत की छंटनी संभव नहीं है। कई अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिन्होंने ईमानदारी से पेपर दिया है। उनके प्रति भी हमारी सहानुभूति है। हालांकि अगर पेपर लीक के जरिए एक भी व्यक्ति थानेदार बनता है तो यह सही नहीं होगा।
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(Udaipur Kiran)
