
सिवनी, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में 1.45 करोड़ रुपये की हवाला मनी लूट कांड में अब बड़ी कार्रवाई हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के आदेश पर मंगलवार को एसडीओपी पूजा पांडे’ सहित 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने 5 आरोपियों को हिरासत में लिया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखना और नागरिकों की सुरक्षा पुलिस का मुख्य दायित्व है। अपने कर्तव्यों से हटकर कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को राज्य सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। कानून सबके लिए समान है, किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
इन पुलिसकर्मियों पर दर्ज हुआ मामला
इस प्रकरण में बीएनएस की धारा 310(2) (डकैती), 126(2) (ग़लत तरीके से रोकना), 140(3) (अपहरण) और 61(2) (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज हुआ है।
हिरासत में लिए गए आरोपी पुलिसकर्मी
एसडीओपी पूजा पांडे, एसआई अर्पित भैरम, कॉन्सटेबल योगेंद्र, कॉन्सटेबल नीरज, कॉन्सटेबल जगदीश
एफआईआर में शामिल अन्य नाम
प्रधान आरक्षक माखन, प्रधान आरक्षक राजेश जंघेला, आरक्षक रविंद्र उईके, आरक्षक चालक रितेश, गनमैन केदार और गनमैन सदाफल
जांच में सामने आया बड़ा खुलासा
एफआईआर के अनुसार, पुलिस को सूचना मिली थी कि जबलपुर से नागपुर अवैध रकम (हवाला मनी) जा रही है। चेकिंग के दौरान एमएच 13 ईके 3430 नंबर की क्रेटा कार से 1.45 करोड़ रुपये बरामद किए गए। बताया गया कि जब्ती के दौरान आरोपी मौके से फरार हो गए थे।
10 अक्टूबर को एसडीओपी पूजा पांडे और टीआई अर्पित भैरम ने यह रकम कोतवाली मालखाने में जमा कराई और इसे जुए-सट्टे की रकम बताया गया। लेकिन बाद में जांच में गड़बड़ियां सामने आईं।
आईजी व डीआईजी की जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए जबलपुर रेंज के आईजी प्रमोद वर्मा और डीआईजी राकेश सिंह सिवनी पहुंचे। आईजी वर्मा ने कहा कि एफआईआर और विवेचना में कई त्रुटियां मिली हैं, इसलिए जांच जबलपुर के एएसपी (क्राइम) जितेन्द्र सिंह को सौंपी गई है। जबलपुर के आईजी प्रमोद वर्मा ने एसपी सुनील मेहता और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अधीक्षक दीपक मिश्रा को शोकाज नोटिस जारी किया है।
हवाला कारोबारियों से नहीं हुआ सौदा
सूत्रों के मुताबिक हवाला कारोबारियों ने 2.96 करोड़ रुपये लूट की शिकायत 9 अक्टूबर को दर्ज कराई थी। बताया गया कि अगले दिन एसडीओपी ने करीब 1.51 करोड़ रुपये लौटाने की कोशिश की, लेकिन रकम में 25 लाख कम पाए गए, जिससे मामला उजागर हो गया।
(Udaipur Kiran) / रवि सनोदिया
