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(अपडेट) विकसित भारत के लिए देश तोड़ने के हर षड्यंत्र को नाकाम करना होगा : प्रधानमंत्री

कार्यक्रम को संबोधित करते प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को संस्कृति, भाषा, भेदभाव मुक्त विकास और लोगों को कनेक्टिविटी के माध्यम से आपस में जोड़ने को भारत की एकता के चार प्रमुख स्तंभ बताते हुए कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए हमें देश को तोड़ने के हर षड्यंत्र को नाकाम करना होगा।

देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर गुजरात के केवड़िया में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री ने घुसपैठ को देश की एकता और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया और कहा कि देश में पहली बार उनकी सरकार इससे निपटने के लिए निर्णायक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि आज देश ‘डेमोग्राफिक मिशन’ के माध्यम से इस चुनौती का सीधा सामना कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने भारत की एकता के चार स्तंभ बताए—संस्कृति, भाषा, विकास और संपर्क। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपराएँ जैसे द्वादश ज्योतिर्लिंग, सप्तपुरी, चार धाम और तीर्थयात्राएँ राष्ट्र की चेतना को सशक्त करती हैं। योग दिवस से विश्व में भारतीय योग की पहचान बढ़ी है। भाषाई एकता पर उन्होंने कहा कि भारत की विविध भाषाएँ उसकी सृजनात्मकता का प्रतीक हैं और किसी पर थोपने का प्रयास कभी नहीं हुआ। सभी भाषाएँ राष्ट्रीय गौरव हैं। तीसरे स्तंभ विकास को उन्होंने भेदभावमुक्त बताया और कहा कि पिछले दशक में 25 करोड़ लोग गरीबी से उबरे, हर घर को जल, आवास और स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलीं। चौथे स्तंभ के रूप में उन्होंने संपर्क को बताया—हाईवे, वंदे भारत ट्रेनें और डिजिटल कनेक्टिविटी ने उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम की दूरियाँ घटाईं और दिलों को जोड़ा। यही समरस भारत की आधारशिला है।

एकता को राष्ट्र और समाज के अस्तित्व का आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक समाज में एकता बनी रहती है, राष्ट्र की अखंडता सुरक्षित रहती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, राष्ट्रीय एकता को तोड़ने वाली हर साजिश को विफल करना होगा। उन्होंने कहा कि देश राष्ट्रीय एकता के हर मोर्चे पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने वाले हैं। इसे रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने न केवल ब्रिटिश सत्ता से संगठन और शासन की विरासत पाई, बल्कि गुलामी की मानसिकता भी अपनाई। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि जिस वंदे मातरम् को ब्रिटिश शासन भी दबा नहीं सका, उसी के कुछ अंश कांग्रेस ने धार्मिक आधार पर हटाकर समाज में विभाजन की नींव रखी। उन्होंने कहा कि यह निर्णय राष्ट्र की एकता और भावना के विरुद्ध था। मोदी ने कहा कि यदि कांग्रेस ने ऐसा कदम न उठाया होता तो भारत की तस्वीर आज अलग होती।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि साल 2014 के बाद उनकी सरकार ने नक्सलवाद और माओवादी आतंक पर निर्णायक प्रहार किया है। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर मुख्यधारा से जुड़ा है और अब पूरी दुनिया भारत की शक्ति को पहचान रही है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने दिखाया कि यदि कोई राष्ट्र पर नजर उठाएगा तो उसे करारा जवाब मिलेगा। उन्होंने र देकर कहा कि शहरी इलाकों में रहने वाले नक्सल समर्थकों या शहरी नक्सलियों को भी दरकिनार कर दिया गया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि सरकार तब तक नहीं रुकेगी जब तक भारत नक्सल-माओवादी खतरों से पूरी तरह मुक्त नहीं हो जाता।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लोकतंत्र में मतभेद स्वीकार्य हैं, लेकिन व्यक्तिगत मतभेद नहीं होने चाहिए। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि आजादी के बाद देश संभालने वालों ने ‘हम भारत के लोग’ की भावना को कमज़ोर करने का प्रयास किया। भिन्न विचारधाराओं वाले व्यक्तियों और संगठनों को बदनाम किया गया और राजनीतिक अस्पृश्यता को संस्थागत रूप दिया गया। उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों ने सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर, डॉ. राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं के साथ भी यही रवैया अपनाया ।

इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होने का उल्लेख करते हुए उन्होंनेने संगठन पर हुए विभिन्न हमलों और षड्यंत्रों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा कि एक पार्टी और एक परिवार के बाहर हर व्यक्ति और विचार को अलग-थलग करने का जानबूझकर प्रयास किया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने देश ने राजनीतिक अस्पृश्यता समाप्त कर राष्ट्रीय एकता को सशक्त किया है। सरदार पटेल की स्मृति में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ और बाबा साहेब अंबेडकर के ‘पंचतीर्थ’ इसका प्रतीक हैं। कर्पूरी ठाकुर, प्रणब मुखर्जी और मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं को सम्मान देकर सरकार ने मतभेदों से ऊपर उठकर एकता की भावना को बल दिया है। यही समावेशी दृष्टि भारत की सच्ची पहचान है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल ने 550 से अधिक रियासतों का विलय कर “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का सपना साकार किया। परंतु उनके निधन के बाद तत्कालीन सरकारों ने राष्ट्रीय संप्रभुता को लेकर वैसी गंभीरता नहीं दिखाई। कश्मीर पर गलत निर्णयों और पूर्वोत्तर में उपजे संकटों ने देश को हिंसा और अशांति की ओर धकेला।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल पूरे कश्मीर का भारत में विलय चाहते थे, पर नेहरू ने उनकी यह इच्छा अधूरी छोड़ दी। कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया और आतंकवाद को वहां पनाह मिली। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने सरदार पटेल के दृष्टिकोण को भुला दिया लेकिन वर्तमान सरकार ने उनके आदर्शों को अपनाया है। आज देश उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए एकता, अखंडता और आत्मगौरव के नए युग में प्रवेश कर रहा है।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर केवड़िया में आयोजित कार्यक्रम में आज प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर आयोजित परेड में बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी की टुकड़ियों ने भाग लिया। गुजरात पुलिस का घुड़सवार दल, असम पुलिस का मोटरसाइकिल डेयरडेविल शो और ऊंट पर सवार बीएसएफ बैंड विशेष आकर्षण रहे।

समारोह में शौर्य चक्र से सम्मानित पाँच सीआरपीएफ जवानों और सोलह बीएसएफ वीरों को सम्मानित किया गया जिन्होंने नक्सल और आतंकवाद विरोधी अभियानों में बहादुरी दिखाई। इस वर्ष की परेड में विभिन्न राज्यों की दस झाँकियाँ ‘एकता में विविधता’ विषय पर प्रस्तुत की गईं।

उन्होंने बताया कि सरदार पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का और एक विशेष डाक टिकट जारी किया गया है।

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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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