

भीलवाड़ा, 22 जून (Udaipur Kiran) । राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के निर्देश पर कृषि विभाग ने रविवार को जिले में बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन उर्वरक फैक्ट्रियों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई कृषि आयुक्तालय के संयुक्त निदेशक (कृषि आदान) नवल किशोर मीणा के नेतृत्व में की गई। जिन फैक्ट्रियों पर छापे मारे गए, उनमें ओस्तवाल फोस्फोम कंपनी लिमिटेड (औज्याड़ा), इंडियन पोटाश लिमिटेड और गायत्री स्पिनर लिमिटेड (हमीरगढ़) शामिल हैं।
संयुक्त निदेशक कृषि विनोद कुमार जैन ने बताया कि ओस्तवाल कंपनी पर उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत कार्रवाई की गई। फैक्ट्री परिसर में सिंगल सुपर फॉस्फेट उर्वरक के बैग सीधे जमीन पर रखे हुए थे, जिससे उनमें नमी प्रवेश की आशंका जताई गई। इस पर टीम ने नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण के आदेश दिए। परीक्षण रिपोर्ट मानक के अनुरूप पाए जाने पर ही इन बैगों की बिक्री को स्वीकृति दी जाएगी।
इंडियन पोटाश लिमिटेड: बैच नंबर की गड़बड़ी, 38 हजार बैग पर रोक
इंडियन पोटाश लिमिटेड में जांच के दौरान पाया गया कि सिंगल सुपर फॉस्फेट के बैग निर्धारित बैच क्रम के अनुसार संग्रहित नहीं किए गए थे और कई बैगों पर प्रिंटेड बैच नंबर आंशिक रूप से कटा हुआ पाया गया। इस गड़बड़ी को गंभीर मानते हुए विभाग ने फैक्ट्री में रखे लगभग 38 हजार बैग की बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।
गायत्री स्पिनर लिमिटेड के निरीक्षण के दौरान स्टॉक रजिस्टर में कांट-छांट और गड़बड़ी पाई गई। इस आधार पर फैक्ट्री को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। विभागीय टीम ने इसे उर्वरक नियंत्रण आदेश का उल्लंघन मानते हुए लिखित जवाब मांगा है।
कार्रवाई के दौरान प्रयोगशाला विश्लेषकों की योग्यता, प्रशिक्षण की स्थिति तथा श्रमिकों के कार्य घंटे और उत्पादन प्रक्रिया की भी जांच की गई। निर्देश दिए गए कि विश्लेषकों को हर तीन वर्ष में केंद्रीय उर्वरक नियंत्रण संस्थान, फरीदाबाद से अनिवार्य प्रशिक्षण दिलाया जाए।
कार्रवाई में स्थानीय कृषि विभाग की टीम भी शामिल रही। दल में अतिरिक्त निदेशक कृषि (भीलवाड़ा खंड) इन्द्र सिंह संचेती, संयुक्त निदेशक कृषि विनोद कुमार जैन, उपनिदेशक उद्यान डॉ. शंकर सिंह राठौड़, सहायक निदेशक डॉ. धीरेन्द्र सिंह राठौड़, कृषि अधिकारी सिद्धार्थ सोलंकी, प्रियंका पारीक, किशन गोपाल जाट और कजोड़ मल गुर्जर शामिल रहे।
अधिकारियों ने मौके से सिंगल सुपर फॉस्फेट के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे। साथ ही निर्देश दिया गया कि भविष्य में उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत सभी तय मानकों का कठोरता से पालन किया जाए। स्थानीय उर्वरक निरीक्षकों को भी नियमित सघन निरीक्षण और अनियमितता की स्थिति में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
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(Udaipur Kiran) / मूलचंद
