अदीस अबाबा/न्यूयॉर्क, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । कोविड महामारी के बाद उपजी वैश्विक खाद्य संकट की स्थिति से दुनिया अब धीरे-धीरे उबरती दिख रही है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में भूख से जूझने वाले लोगों की संख्या लगातार तीसरे वर्ष घटी है। हालांकि अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में जलवायु संकट और संघर्ष के चलते कुपोषण की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है।
संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में लगभग 673 मिलियन (67.3 करोड़) लोग, यानी दुनिया की 8.2 प्रतिशत जनसंख्या, भूख का सामना कर रही थी। यह आंकड़ा 2023 में 8.5% था, जो अब गिरकर 8.2% हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो ने कहा कि भारत और दक्षिण अमेरिका में खाद्य पहुंच में सुधार के चलते वैश्विक स्तर पर भूख में यह गिरावट संभव हुई है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अफ्रीका और पश्चिम एशिया जैसे क्षेत्रों में जारी संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, और ऋण संकट इन सुधारों को पलट सकते हैं।
टोरेरो ने इथियोपिया में यूएन खाद्य सम्मेलन के दौरान कहा कि “यदि संघर्ष बढ़ता रहा, असुरक्षा और कर्ज का बोझ बढ़ता रहा, तो भूख से जूझने वालों की संख्या दोबारा बढ़ सकती है”।
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह आंकड़े दीर्घकालिक भूख पर केंद्रित हैं। इसमें गाजा जैसे युद्धग्रस्त इलाकों में पैदा हुई तात्कालिक मानवीय आपदाओं का पूरा आकलन नहीं हो पाया है। ऐसे क्षेत्रों में भूख और कुपोषण की वास्तविक स्थिति इससे कहीं अधिक भयावह हो सकती है।
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
