
जम्मू, 22 जून (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेबाईएम) ने हाल ही में अधिसूचित नायब तहसीलदार भर्ती 2025 में उर्दू को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने के जम्मू-कश्मीर सरकार के विवादास्पद फैसले के कड़े विरोध में पार्टी मुख्यालय त्रिकुटा नगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। अपने संबोधन के दौरान अरुण प्रभात ने समान अवसर और योग्यता की भावना को जानबूझकर खत्म करने के लिए मौजूदा नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार की आलोचना की। यह पक्षपातपूर्ण निर्णय एक ऐसी मानसिकता को दर्शाता है जिसने दशकों तक जम्मू-कश्मीर के मुद्दों को जलाए रखा इस क्षेत्र का चुनिंदा तरीके से अपने आख्यान को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया।
पिछले 75 वर्षों में इसका कई लोगों द्वारा एक से अधिक तरीकों से फायदा उठाया गया। हम सभी इस बात के गवाह हैं कि फारसी से निकली उर्दू ने जम्मू-कश्मीर के राजस्व रिकॉर्ड को कैसे प्रभावित किया है। जम्मू-कश्मीर में अधिकांश लोग जिनमें से कुछ उर्दू से अच्छी तरह वाकिफ होने का दावा करते हैं भूमि रिकॉर्ड से अच्छी तरह वाकिफ नहीं होते हैं जिससे सरकारी विभागों में कुछ काले भेड़ों द्वारा भ्रष्टाचार होता है। अतीत में नेशनल कॉन्फ्रेंस के भेदभावपूर्ण इरादों और पक्षपातपूर्ण कार्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने 2008 की नायब तहसीलदार की भर्ती प्रक्रिया की याद दिलाई जब चयनित उम्मीदवारों की सूची जानबूझकर रोक दी गई थी।
चयनित उम्मीदवारों को न्यायपालिका के माध्यम से न्याय प्रदान किया गया था जिसके परिणामस्वरूप उनकी वरिष्ठता में डेढ़ साल की देरी हुई थी। जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड द्वारा आयोजित 2019 की नायब तहसीलदार की भर्ती में फिर से पक्षपातपूर्ण रुख दिखाते हुए उर्दू पेपर के कारण 817 में से 126 उम्मीदवार असफल हो गए उनमें से 122 जम्मू क्षेत्र से थे। उन्होंने आगे सवाल उठाया कि यदि तहसीलदार, उप मंडल मजिस्ट्रेट, सहायक आयुक्त राजस्व और मंडल आयुक्त जो सीधे यूटी में राजस्व से संबंधित मामलों को देखते हैं के लिए उर्दू भाषा की कोई पात्रता नहीं है तो नायब तहसीलदार की भर्ती के लिए यह अनिवार्य क्यों है। यह एनसी सरकार की पक्षपातपूर्ण मंशा को दर्शाता है।
(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता
