
उज्जैन, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के उज्जैन में रविवार को प्रदश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने यंग थिंकर्स फोरम द्वारा त्रिवेणी संग्रहालय में आयोजित मध्यभारत के सबसे बड़े बौद्धिक महाकुंभ यंग थिंकर्स कॉन्फ्लुएंस के पोस्टर एवं टीजर का अनावरण किया। इस अवसर पर मंत्री परमार ने कहाकि हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए ज्ञान की परंपरा छोड़ी है, उसको वर्तमान के संदर्भों में देखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पेड़ों को इसलिए पूजते हैं क्योंकि वे हमें प्राणवायु देते हैं। जल स्रोतों को पूजने की परंपरा इसलिए है क्योंकि जल के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। सूर्य ऊर्जा का केंद्र है, इसलिए हम उसे पूजते हैं। आज इस परंपरा का वैज्ञानिक ढंग से शोध करने और दुनिया के सामने लाने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से अधिक से अधिक शोध करने का आव्हान किया।
यंग थिंकर्स फोरम के निदेशक आशुतोष सिंह ठाकुर ने फोरम की संकल्पना प्रस्तुत की। मुख्य वक्ता माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलगुरु विजयमनोहर तिवारी ने कहाकि भारत के समृद्ध इतिहास की पहली भोजशाला उज्जैन में,दूसरी धार और तीसरी मांडव में थी। राजा भोज के समय इनके नाम भोजशाला नहीं थे। ये संस्कृत में भारत की ज्ञान परंपरा के महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र थे, जिनका मूल नाम था सरस्वती कंठाभरण। इस अवसर पर विक्रम विवि के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज,देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई ने भी विचार व्यक्त किए। फोरम का उद्देश्य की जानकारी मालवा प्रांत संयोजक यश भार्गव ने दी। संचालन अस्तित्व गुप्ता एवं श्रेया वैद्य ने किया। आभार अमित राठौर ने माना।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
