

उज्जैन, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में एक ऐसा वाकया हो गया,जिसने मानवता पर प्रश्नचिंह खड़ा कर दिया। सीएमएचओ डॉ.अशोक पटेल के अनुसार उनके पास जो शिकायत आई उस अनुसार पामेचा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती रहने के दौरान मृत युवक का शव अस्पताल प्रबध्ंान ने एंबुलेंस में रख दिया। मृतक की पत्नि और दो मासूम बच्चे सर्द रात में एंबुलेंस में बैठे ग्वालियर से आ रहे अपने परिजनों का इंतजार करते रहे। उनके अनुसार घटना संज्ञान में आने के बाद उन्होने अस्पताल प्रबंधन को शोकाज नोटिस जारी कर दिया है। डॉ.पटेल के अनुसार दूसरा मामला देशमुख हॉस्पिटल का है। यहां उपचार में लापरवाही पर गर्भस्थ शिशु और प्रसुता की मौत के मामले में उन्होने जांच कमेटी बैठा दी है। दोनों मामलों में जांच के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
1.पामेचा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटलडॉ.पटेल के अनुसार पहला मामला इंदौर मार्ग स्थित पामेचा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का है। उन्हे शिकायत मिली है कि आगर निवासी एक युवक को ह्दयघात हुआ। उसे स्थानीय अस्पताल द्वारा उज्जैन रैफर किया गया। पति को गंभीर अवस्था में शनिवार को उसकी पत्नि उज्जैन लेकर आई। पामेचा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में पति को महिला ने भर्ती करवाया। यहां उपचार के दौरान शनिवार शाम ही युवक की मौत हो गई। डॉ.पटेल के अनुसार अमानवीय पहलू यह है कि महिला ने अपने पति के उपचार के लिए मांगी गई सारी धनराशि अस्पताल में जमा करवा दी। शासन का तो यह नियम है कि यदि परिजन के पास रूपये न हो तो भी शव परिजनों को सौपा जाए। इसके उलट महिला द्वारा सारी राशि जमा करवाने के बाद महिला से अस्पताल प्रबंधन द्वारा कहा गया कि शव लेकर जाएं,हम नहीं रख सकते। महिला ने अनुनय किया कि उसके रिश्तेदार ग्वालियर से निकले हैं,तब तक शव को सुरक्षित अस्पताल में ही रख लें। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और एंबुलेंस में शव को रख दिया गया। सर्द रात मेें महिला अपने पति के शव और दो मासूम बच्चों के साथ एंबुलेंस में बैठी रही। डॉ.पटेल के अनुसार इससे अधिक अमानवीयता क्या हो सकती है? जिला प्रशासन ने भी इसे गंभीरता से लिया है। वहीं उन्होने अस्पताल प्रबंधन को शोकाज नोटिस जारी करके सारा मामला मांगा है। प्रथम दृष्ट्या अस्पताल प्रबंधन दोषी है। आगे की जांच के बाद वे कार्रवाई करेंगे।
आरोप और सफाई
इस संबंध में पार्षद राजेंद्र कुंवाल(गब्बर) ने आरोप लगाया कि उक्त घटना शर्मनाक है। पामेचा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल प्रबंधन पर कार्रवाई होना चाहिए। वे सूचना मिलने पर अस्पताल गए थे। मौके पर महिला को प्रबंधन से हाथ जोडक़र रिकवेस्ट करते देखा,लेकिन अस्पताल प्रबंधन नहीं पसीजा। महिला दो मासूम बच्चों के साथ सर्द रात में एंबुलेंस में पति के शव के साथ बैठी रही। वहीं अस्पताल प्रबंधन की ओर से डॉ.हर्षल पामेचा ने सफाई दी है कि अस्पताल में शव रखने की व्यवस्था नहीं है। अस्पताल प्रबंधन ने महिला को पूरा सहयोग किया है।
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2. देशमुख हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटरसीएमएचओ डॉ.अशोक पटेल ने चर्चा में बताया कि दूसरा मामला देशमुख हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर से जुड़ी एक शिकायत का है। इस मामले में उन्होने जांच बैठा दी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई तय की जाएगी। उन्होने बताया कि उन्हे जो शिकायत मिली है,उस अनुसार-तीन बत्ती चौराहा के समीप आश्रय होटल के पिछे रहनेवाले नितेश पिता नरेंद्र यादव ने अपनी पत्नि अंजली को गर्भवती होने पर उपचार के लिए देशमुख हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर पर डॉ.स्नेहल देशमुख को दिखाया और उपचार शुरू करवाया। जब नो माह लगा तो 7 अक्टूबर को उन्होने पत्नि को डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने कहाकि आयरन की कमी है,इंजेक्शन लगवाने का कहा। इसी अस्पताल में शिकायतकर्ता के अनुसार संबंधित डॉक्टर की उपस्थिति में आयरन के दो इंजेक्शन बगैर टेस्ट किए लगाए गए। थोड़ी देर बाद अंजली की तबियत बिगडऩे लगी। अस्पताल में ही रात्रि में गर्भ में बच्चे की मौत हो गई। इसकी जानकारी पिता को 8 अक्टूबर को तडक़े दी गई। सुबह करीब साढ़े 8 बजे ऑपरेशन करके मृत बच्चे को बाहर निकाला। इधर अंजली की तबियत बिगडऩे लगी। अंजली को 14 अक्टूबर को करीब डेढ़ लाख रूपए का अस्पताल खर्चा लेकर डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके बाद अंजली की तबियत बिगड़ती चली गई। उसे 13 नवंबर को दूसरे अस्पताल में भर्ती किया गया,जहां गंभीर हालत होने के बाद उसे बचाया नहीं जा सका। आरोप लगाया कि इंजेक्शन लगाने में गड़बड़ के कारण यह सब हुआ है। डॉ.पटेल के अनुसार जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल