Uttar Pradesh

त्ज़ु ची बौद्ध फाउंडेशन, ताइवान और बीएचयू मिलकर स्थापित करेंगे बौद्ध अध्ययन शोध केंद्र

फोटो प्रतीक

—केन्द्र से शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान से दोनों महान परम्पराओं की गहन समझ विकसित होगी

वाराणसी, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में त्ज़ु ची बौद्ध फाउंडेशन, ताइवान और काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के बीच बौद्ध अध्ययन पर केंद्रित एक शोध केंद्र की स्थापना होगी। यह केंद्र बीएचयू के कला संकाय के अधीन पाली एवं बौद्ध अध्ययन विभाग के तत्वावधान में स्थापित किया जाएगा।

मंगलवार को यह जानकारी विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क कार्यालय ने दी। बताया गया कि त्ज़ु ची फाउंडेशन की 13 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल टीम, जिसकी अगुवाई फाउंडेशन की उपाध्यक्ष लिन पी यू ने की, ने बीएचयू का दौरा किया। उनके साथ सिओ एवं अन्य विशिष्ट सदस्य भी उपस्थित थे।

प्रतिनिधिमंडल ने बीएचयू कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी से भेंट की। कुलपति ने इस पहल का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रस्तावित केंद्र की स्थापना के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को शीघ्रता से पूर्ण करेगा।

जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार प्रस्तावित केंद्र पूर्णतः शोध आधारित संस्था होगा, जिसका उद्देश्य बौद्ध धर्म के क्लासिकल ग्रंथों, शोधपत्रों और व्याख्यानों की श्रृंखला का अध्ययन, अनुवाद एवं प्रकाशन होगा। यह केंद्र थेरेवाद और महायान दोनों परम्पराओं के अध्ययन एवं प्रसार के लिए समर्पित रहेगा और शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से इन दोनों महान परम्पराओं की गहन समझ विकसित करेगा। माना जा रहा है कि महायान बौद्ध परम्परा, जो कभी भारत में अत्यंत समृद्ध और प्रभावशाली रही, धीरे-धीरे अपने उद्गम स्थल से लुप्त हो गई। बीएचयू में इस प्रकार के केंद्र की स्थापना इस परम्परा के अध्ययन, अनुसंधान और पुनर्जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

केंद्र का एक प्रमुख लक्ष्य महत्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथों और सूत्रों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करना भी होगा, जिससे विद्वानों और साधकों को इनका व्यापक रूप से अध्ययन करने का अवसर मिल सके। त्ज़ु ची फाउंडेशन ने दोनों परम्पराओं – थेरेवाद और महायान – की पवित्र पुस्तकों एवं शास्त्रीय साहित्य के अनुवाद और प्रकाशन में सभी प्रकार के सहयोग देने की बात कही है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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