Jammu & Kashmir

लद्दाख में जलवायु परिवर्तन पर दो-सप्ताह का अंतर्राष्ट्रीय ग्रीष्मकालीन विद्यालय संपन्न

लद्दाख में जलवायु परिवर्तन पर दो-सप्ताह का अंतर्राष्ट्रीय ग्रीष्मकालीन विद्यालय संपन्न

कारगिल, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन पर दो-सप्ताह का अंतर्राष्ट्रीय ग्रीष्मकालीन विद्यालय आज लद्दाख में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ जिसमें शिक्षाविदों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों द्वारा महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि और कार्यान्वयन योग्य सुझाव साझा किए गए। इस कार्यक्रम का आयोजन पीजीडीएवी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), पर्वतीय एवं पहाड़ी पर्यावरण पर अंतःविषय अध्ययन केंद्र (सीआईएसएचएमई), दिल्ली विश्वविद्यालय, पृथ्वी विज्ञान विभाग, पर्वतीय पर्यावरण संस्थान, भद्रवाह परिसर, जम्मू विश्वविद्यालय और एचएसई विश्वविद्यालय (सेंट पीटर्सबर्ग, रूस) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।

ग्रीष्मकालीन विद्यालय में दस दिनों का गहन क्षेत्रीय कार्य और अंतःविषय शैक्षणिक आदान-प्रदान शामिल था जिसमें सभी चार संस्थानों के छात्र, शोधकर्ता और संकाय शामिल थे। प्रतिभागियों ने लेह और कारगिल के विभिन्न क्षेत्रों के स्थानीय समुदायों, सरकारी प्रतिनिधियों और पारिस्थितिक विशेषज्ञों के साथ गहन बातचीत की और संवेदनशील पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्रों और ग्रामीण आजीविका पर जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष प्रभाव का आकलन किया।

जम्मू विश्वविद्यालय के भद्रवाह परिसर के रेक्टर प्रो. राहुल गुप्ता ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र में अंतर-समुदाय विश्लेषण जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण आजीविका और सामुदायिक लचीलेपन के बीच जटिल संबंधों की गहरी समझ प्रदान करता है। इस अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक साझेदारी ने वैश्विक जलवायु विमर्श में एक मूल्यवान परिप्रेक्ष्य जोड़ा है।

ज़मीनी स्तर पर बातचीत और स्थल भ्रमण: प्रतिभागियों ने कई जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों का दौरा किया जिनमें ऊपरी और निचला लिकर, अलची जलविद्युत परियोजना, सासपोल, हनु गोगमा, हनु योकमा और दा (लेह ज़िला) और सलमा, चंबा, हनु गोगमा (कारगिल ज़िला) शामिल हैं। उन्होंने जीडीसी कारगिल के संकाय और छात्रों, एलएएचडीसी के सदस्यों, इस्लामिया स्कूल ट्रस्ट और स्थानीय समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत की।

पीजीडीएवी कॉलेज में पर्यावरण अध्ययन के सहायक प्रोफ़ेसर और समर स्कूल के संयोजक डॉ. प्रदीप सिंह ने कहा वैज्ञानिक आकलन को ज़मीनी स्तर के ज्ञान के साथ मिलाना नाज़ुक पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्रों में दीर्घकालिक जलवायु समाधान तैयार करने की कुंजी है।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

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