
मंडी, 05 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में बरसात की दस्तक के साथ ही पहाड़ दरकने, बादल फटने और जानमाल के नुक्सान का सिलसिला शुरू हो गया है। जिसका असर सबसे अधिक इस बार मंडी जिला में हुआ है। बीते 30 जून की रात और पहली जुलाई की सुबह भारी बारिश के चलते बाढ़ और बादल फटने की अनेक घटनाएं हुई है। इसी कड़ी में मंडी जिला के सराज क्षेत्र के थुनाग उपमंडल के थुनाग स्थित बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय के करीब डेढ़ सौ से अधिक छात्र इस त्रासदी में फंसे हुए थे। जिन्होंने रात के अंधेरे में बड़ी मुश्किल से इधर-उधर भाग कर अपनी जान बचाई । लेकिन इनमें दो ऐसे छात्र भी थे जिन्होंने भाग कर अपनी जान बचाने के बजाय। अपनी जान को जोखिम में डालकर कालेज की प्राध्यापिका ओर उनके परिवार को सुरक्षित बाहर निकालने का साहसिक कारनामें को अंजाम दिया। इन दो छात्रों में एक मंडी जिला के सरकाघाट क्षेत्र का साहिल ठाकुर जो सरकाघाट क्षेत्र के काश गांव से संबंध रखता है और दूसार छात्र रोनित जो जिला सिरमौर का निवासी है।
इस त्रासदी के प्रत्यक्षदर्शी छात्र साहिल ने बताया की 30 जून की रात जब वे खाना खाने के बाद सोने की तैयारी में थे, तभी मकान मालिक ने उन्हें सूचना दी कि कहीं दूर डेजी गांव में थुनाग से 8 किलोमीटर पहले बादल फटा है और भारी मात्रा में मलवा और पानी थुनाग क्षेत्र की तरफ आ रहा है। सूचना मिलते ही सबसे पहले उन्होंने अपने कॉलेज के छात्रों और हॉस्टल में रह रही छात्राओं को फोन कर सूचित किया और उन्हें तुरंत सुरक्षित स्थानों की ओर भाग जाने को कहा। इसी दौरान देखते-देखते ही पूरा थुनाग बाजार पानी से लबालब भर गया। वे दोनों भी सुरक्षित जगह की तलाश में बिल्डिंग के छत पर चढ़ गए। इसी दौरान उन्होंने देखा कि कई लोग मोबाइल के सहारे फ्लैशलाइट जलाकर मदद मांग रहे थे। यह देखकर साहिल और रोनित ने तुरंत जाकर तीन-चार लोगों को जो पानी में डूब चुके थे सुरक्षित बाहर निकाला। इसके बाद उन्होंने देखा की कोर्ट के भवन में मोबाइल की रोशनी जगमगा रही थी, जिसमें उन्हीं के कॉलेज की शिक्षक कल्पना ठाकुर उनके पति और एक छोटा सा बच्चा पूरी तरह से पानी में फंसे हुए थे । वे दोनों गर्दन तक पानी में डूबने लगे थे, उन्होंने अपने नन्हें बच्चों को हाथों पर ऊपर उठा कर रखा था। तभी साहिल और रोनित अपनी जान की परवाह न करते हुए पानी में उन्हें बचाने दौड़ पड़े। दोनों ने बड़ी मुश्किल से उन तीनों को सुरक्षित पानी से बाहर निकाल लिया।
उन्होंने बताया कि उस समय हमें सिर्फ लोगों की जिंदगियां नजर आ रही थी, जो पानी में डूब रहे थे। इसलिए हमने उनकी जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। हम किसी को अपनी आंखों के सामने मरता हुआ नहीं देख सकते थे। हमने कोशिश की और भगवान ने साथ दिया और हम उन्हें बचाने में कामयाब हुए। हालांकि, सुबह जब उन्हें पानी में बहते हुए दो-तीन शव नजर आए और चारों तरफ तबाही का मंजर देखा तो गटे खड़े हो गए। यह नजारा बहुत भयानक था, पूरा का पूरा बाजार तबाह हो चुका था। एक भी दुकान और घर सुरक्षित नहीं बचा था। आसपास के सभी भवनों की दो-दो मंजिलें पानी में डूब चुकी थी और ग्राउंड फ्लोर में रहने वाले क्षेत्र को पूरी तरह से तबाह हो गए थे। ऐसा भयानक नजारा देखकर भगवान का शुक्र मनाया कि हम इस त्रासदी में जिंदा बच गए और एक परिवार को बचा पाये इस बात की मन को तस्सली है। थुनाग बागवानी और वानिकी कॉलेज का हॉस्टल और भवन भी नीचे की मंजिल खोखली हो चुकी है। कॉलेज में जाने के लिए कोई रास्ता भी नहीं बचा है।
छात्रों का यह कहना है कि इस कॉलेज को यहां से शिफ्ट करके कहीं और बनाया जाए। नौणी विश्वविद्यालय में ही परीक्षा ली जाए। साहिल का कहना है कि तीन दिन के बाद प्रशासन ने कांढा क्षेत्र तक गाड़ियां भेज कर कॉलेज के 92 छात्र छात्राओं को वहां से सुरक्षित निकाला।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
