
नई दिल्ली, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) ।
केरल सरकार की स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास मंत्री वीना जॉर्ज ने गुुरुवार को केरल के कुमारकोम स्थित मनोरम केटीडीसी वाटरस्केप्स में “आयुष क्षेत्र में आईटी समाधान” पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। केरल के राष्ट्रीय आयुष मिशन द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि तथा 155 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें वरिष्ठ अधिकारी, तकनीकी विशेषज्ञ और नीति निर्माता शामिल थे। यह कार्यशाला नई दिल्ली में आयोजित आयुष विभागीय शिखर सम्मेलन 2025 की प्राथमिकताओं के अनुरूप आयोजित की गई थी।
इस मौके पर वीना जॉर्ज ने अपने उद्घाटन भाषण में, प्रतिनिधियों का हार्दिक स्वागत किया और कुमारकोम की प्राकृतिक संरचना के प्रतीकात्मक चयन पर जोर दिया, जो आयुष द्वारा प्रचारित सद्भाव को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी प्रगति को तेजी से अपनाने के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने सभी प्रतिभागियों से एक केंद्रीकृत, अंतःक्रियाशील डिजिटल ढांचे के लिए सहयोगात्मक रूप से रोडमैप तैयार करने का आह्वान किया जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को मजबूत करे और कोई भी इसके लाभ से वंचित न रहे।
जॉर्ज ने प्राचीन ज्ञान और आधुनिक तकनीक के बीच संतुलन बनाने की केरल की प्रतिबद्धता को और स्पष्ट करते हुए कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य नवोन्मेषण में राज्य की अग्रणी भूमिका दूसरों के लिए एक मानक स्थापित करती है। उन्होंने देश भर में आयुष डिजिटल सेवाओं में एकरूपता और व्यापकता की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, जो नागरिक-केंद्रित शासन पर आधारित हो और विश्वास व्यक्त किया कि कार्यशाला में होने वाले विचार-विमर्श से वास्तविक समय की निगरानी और डेटा एकीकरण में सुधार होगा।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने अपने मुख्य भाषण में आयुष क्षेत्र में आईटी समाधानों को एकीकृत करने के महत्वपूर्ण मोड़ को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि डिजिटल उपकरणों और प्लेटफार्मों को अपनाना अब वैकल्पिक नहीं, बल्कि पहुंच, वहनीयता और सेवा वितरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक है। वैद्य कोटेचा ने मंत्रालय की जारी पहलों, जैसे आयुष ग्रिड और नए डिजिटल पोर्टल के बारे में विस्तार से बताया, जिन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने, दोहराव से बचने के लिए सॉफ्टवेयर का मानकीकरण करने और देश भर में आधुनिक आयुष सेवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। वैद्य कोटेचा ने दोहराया कि इन डिजिटल प्रणालियों को नागरिकों को सशक्त बनाना चाहिए और साक्ष्य एवं समता पर आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन के सक्षमकर्ता के रूप में कार्य करना चाहिए, जिससे भारत के स्वास्थ्य इको-सिस्टम में आयुष सेक्टर के योगदान को सुदृढ़ बनाया जा सके।
आयुष मंत्रालय के परामर्शदाता डॉ. रघु ने कार्यशाला को आईटी-संचालित समाधानों को बढ़ावा देने के लिए एक समयबद्ध मंच के रूप में रेखांकित किया, जो पारदर्शिता, रोगी देखभाल और पहुंच को बढ़ाता है, साथ ही मजबूत अनुसंधान और बुनियादी ढांचे के विकास में सहायता करता है।
उत्तर प्रदेश के आयुष विभाग के प्रमुख सचिव रंजन कुमार ने राज्यों के बीच नवोन्मेषण, सहयोग और ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देने के लिए ऐसे मंचों के महत्व पर जोर दिया, जिससे देश भर में व्यापक और समावेशी स्वास्थ्य समाधान सुनिश्चित हो सके।
कार्यशाला में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल सहित 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ आयुष मंत्रालय और आयुष ग्रिड के अधिकारी भी भाग ले रहे हैं।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और नवोन्मेषणों का आदान-प्रदान करना, आयुष ग्रिड जैसे केंद्र सरकार के आईटी प्लेटफार्मों पर अनुकूलन प्रदान करना है। यह राष्ट्रीय कार्यशाला भविष्य के लिए तत्पर, गतिशील और नागरिक-केंद्रित आयुष डिजिटल स्वास्थ्य इको-सिस्टम की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
