शिमला, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में वेटलैंड्स यानी आर्द्रभूमियों के संरक्षण और इनके विवेकपूर्ण उपयोग को लेकर गुरूवार को शिमला में दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई है। इस कार्यशाला का आयोजन राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद (हिमकॉस्ट) द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, विशेषज्ञ और पर्यावरणविद हिस्सा ले रहे हैं।
कार्यशाला का उद्देश्य आर्द्रभूमियों के संरक्षण, प्रबंधन और इनके सतत उपयोग को लेकर अनुभव साझा करना तथा नई रणनीतियों पर विचार-विमर्श करना है। इसमें भाग लेने वाले विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि अपने-अपने प्रदेशों में वेटलैंड्स के संरक्षण से जुड़ी सफल योजनाओं, चुनौतियों और अनुभवों को साझा कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बदलते पर्यावरण और बढ़ते शहरीकरण के बीच आर्द्रभूमियों की रक्षा बेहद जरूरी है, क्योंकि ये जल संतुलन, जैव विविधता और स्थानीय आजीविका का अहम आधार हैं।
हिमाचल प्रदेश में इस समय लगभग 197 वेटलैंड्स मौजूद हैं, जिनमें तीन अंतरराष्ट्रीय और दो राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज आर्द्रभूमियां शामिल हैं। हिमकॉस्ट के संयुक्त सदस्य सचिव सुरेश कुमार अत्री ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य भारत में आर्द्रभूमि प्रबंधन के क्षेत्र में नए दृष्टिकोण और तकनीकी अनुभवों का आदान-प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि हिमाचल की प्रसिद्ध खजियार झील में लगातार बढ़ रही गाद इसके अस्तित्व के लिए खतरा बन रही है, जबकि मंडी की रिवाल्सर झील के आसपास बढ़ता शहरीकरण एक बड़ी चुनौती है।
अत्री ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में कृषि, बागवानी, पर्यटन और मत्स्य पालन जैसी गतिविधियाँ वेटलैंड्स पर काफी हद तक निर्भर हैं, इसलिए उनका संरक्षण जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि इन आर्द्रभूमियों का सही प्रबंधन किया जाए तो ये न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रख सकती हैं बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर सकती हैं।
कार्यशाला में भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारी तथा जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागी सिरमौर जिले स्थित रेणुका झील का दौरा करेंगे, जहां वे वेटलैंड संरक्षण से जुड़ी जमीनी चुनौतियों और प्रयासों का जायज़ा लेंगे।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
