RAJASTHAN

एक ही कमरे में सो रहे दो चचेरे भाई जिंदा जले, तीसरा गंभीर रूप से झुलसा

भाड़खा गांव की जस्तानियों की ढाणी

बाड़मेर, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जिले के ग्रामीण थाना क्षेत्र के भाड़खा गांव की जस्तानियों की ढाणी में रविवार तड़के दिल दहला देने वाली घटना हुई। एक ही कमरे में सो रहे तीन चचेरे भाइयों में से दो की जिंदा जलकर मौत हो गई, जबकि तीसरा युवक गंभीर रूप से झुलस गया है। झुलसे युवक को गंभीर हालत में जोधपुर रेफर किया गया है। हादसे के बाद पूरे गांव में मातम पसर गया।

बताया जा रहा है कि देवीलाल जस्तानिया शनिवार रात अपने भाई शंकराराम के घर गए थे। रात का भोजन करने के बाद वे वहीं रुक गए। देवीलाल का बेटा जसराज (21), अपने चचेरे भाई अरुण (19) पुत्र शंकराराम और राजूराम (12) पुत्र पुरखाराम के साथ एक कमरे में सो गया। सुबह करीब पांच बजे कमरे में अचानक आग लग गई। कुछ ही मिनटों में लपटें तेज हो गईं और पूरा कमरा आग की चपेट में आ गया। जब तक परिवार के लोग और ग्रामीण मौके पर पहुंचे, आग ने विकराल रूप ले लिया था।

सूचना मिलते ही केयर्न कंपनी की फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। लेकिन तब तक अरुण और राजूराम की जलकर मौत हो चुकी थी, जबकि जसराज गंभीर रूप से झुलस गया था। झुलसे हुए जसराज को ग्रामीणों ने तुरंत बाड़मेर के सरकारी अस्पताल पहुंचाया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे जोधपुर रेफर कर दिया गया। उसकी हालत फिलहाल नाजुक बताई जा रही है।

ग्रामीण थाना अधिकारी राजूराम बामणिया ने बताया कि प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट से आग लगना सामने आया है। एफएसएल टीम ने मौके से सबूत जुटाए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही आग लगने के वास्तविक कारणों का खुलासा होगा। मृतक अरुण मुंबई में प्लास्टिक कप बनाने की फैक्ट्री में काम करता था और दीपावली पर छुट्टी लेकर गांव आया हुआ था। वहीं राजूराम कक्षा सात का छात्र था। देवीलाल की पत्नी का कुछ साल पहले ही निधन हो गया था, अब उनका इकलौता बेटा जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।

घटना की जानकारी मिलते ही एएसपी जसाराम बोस, डीएसपी रमेश कुमार शर्मा, तहसीलदार, पटवारी सहित प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। वहीं बाड़मेर विधायक डॉ. प्रियंका चौधरी भी घटनास्थल पर पहुंचीं और पीड़ित परिवार से मुलाकात कर प्रशासन को हरसंभव मदद के निर्देश दिए। भाड़खा जस्तानियों की ढाणी में तीनों सगे भाई शंकराराम, पुरखाराम और देवीलाल के घर 100 से 150 मीटर की दूरी पर बने हुए हैं। तीनों खेती-किसानी और मजदूरी से जीवन यापन करते हैं। हादसे ने तीनों परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है।

(Udaipur Kiran) / रोहित

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