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दो बालिगों को अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार हैः उच्च न्यायालय

दिल्ली हाई कोर्ट फाइल चित्र

नई दिल्ली, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि दो बालिगों को अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार है, भले ही उनका परिवार उनकी शादी का विरोध कर रहा हो। न्यायालय ने कहा कि सहमति से शादी करने वाले वयस्कों को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत शांतिपूर्वक साथ रहने का अधिकार है। जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने एक युवा जोड़े को पुलिस की सुरक्षा का आदेश देते समय ये टिप्पणी की।

दरअसल, युवा जोड़े ने 23 जुलाई को दिल्ली के एक आर्य समाज मंदिर में हिन्दू रीति रिवाज के मुताबिक शादी की थी। लड़की ने अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ घर से भागकर शादी की थी। लड़की के घर से भागने के बाद उसके माता-पिता ने एफआईआर दर्ज कराया था। बाद में पुलिस के सामने दिये बयान में लड़की ने कहा कि उसने लड़के के साथ अपनी मर्जी से शादी की है। लड़की की स्वीकारोक्ति के बाद पुलिस ने उसके माता-पिता की ओर से दर्ज शिकायत को बंद कर दिया।

शादी के बाद लड़की के माता-पिता ने उस पर दबाव बनाना शुरु कर दिया। उसके बाद लड़की ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सुरक्षा की मांग की। कोर्ट ने युगल जोड़े को सुरक्षा देने का आदेश देते हुए संबंधित एसएचओ को निर्देश दिया कि वो एक बीट कांस्टेबल को निर्देशित कर उसे कोर्ट के आदेश के बारे में बताएं। कोर्ट ने एसएचओ को निर्देश दिया कि वो नए जोड़े के आपातकालीन नंबर उपलब्ध कराए और किसी भी धमकी की जानकारी लिखे और उस पर बिना समय गंवाए कार्रवाई करे।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा

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