
जम्मू, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक चलने वाले धार्मिक पर्वों के दौरान भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी का विवाह भगवान शालीग्राम से किया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह 2 नवंबर, रविवार को संपन्न होगा। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि 1 नवंबर शनिवार सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 2 नवंबर रविवार सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। स्मार्त संप्रदाय के लोग 1 नवंबर को तथा वैष्णव संप्रदाय के लोग 2 नवंबर को हरिप्रबोधिनी एकादशी का व्रत रखेंगे।
महंत शास्त्री ने बताया कि तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर रविवार शाम 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इस दिन तुलसी के पौधे को सजाकर गन्ने का मंडप बनाया जाता है और तुलसी को चुनरी या ओढ़नी चढ़ाई जाती है। पूजन के समय “ऊं तुलस्यै नम:” मंत्र का जाप करने का विधान है। अगले दिन तुलसी और विष्णु जी की पुनः पूजा कर ब्राह्मणों को भोजन करवाने और फिर स्वयं पारण करने से व्रत पूर्ण होता है।
उन्होंने बताया कि इस दिन गन्ना, आंवला और बेर का सेवन करने से पापों का नाश होता है। तुलसी धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र मानी जाती है। जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है तथा वातावरण में शुद्धता बनी रहती है।
महंत शास्त्री ने यह भी कहा कि एकादशी, रविवार और ग्रहण के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, न ही सूखा पौधा घर में रखना चाहिए। तुलसी के पत्ते शिवलिंग और गणेश जी पर चढ़ाना भी वर्जित माना गया है। उन्होंने बताया कि जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा हो, वे अग्निकोण में तुलसी का पौधा लगाकर प्रतिदिन पूजा करें, तो विवाह शीघ्र और शुभ स्थान पर होता है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
