Chhattisgarh

सच्चे भक्त संसार की वस्तुओं को केवल एक साधन मानते हैं : प्रशम सागर

इतवारी बाजार स्थल जैन मंदिर में प्रवचन देते हुए जैन मुनि।

धमतरी, 9 जुलाई (Udaipur Kiran) । चातुर्मास के लिए जैन मुनियों का नगर में मंगल प्रवेश हुआ। श्री पार्श्वनाथ जिनालय में जैन मुनियों का प्रवचन जारी है। जैन मुनि प्रशम सागर ने प्रवचन के माध्यम से बुधवार काे बताया कि श्रावक किसे कहते हैं। जो जिनशासन को मानता है जो परमात्मा की वाणी पर श्रद्धा रखते हैं उसे श्रावक कहते हैं। श्रद्धा, विवेक और क्रिया जिसके जीवन में आ जाता है, उसे सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र प्राप्त हो जाता है। वह श्रावक कहलाता है।

संसार में बड़े से बड़े पदों को प्राप्त करना सरल है जबकि परमात्मा का श्रावक बनना बहुत कठिन है। वास्तव में श्रावक वह होता है जिसकी दिशा वही है जो दिशा पंच परमेष्ठि की है। अर्थात परमात्मा के दिशा की ओर हमारी भी दिशा हो वहीं श्रावक होने की योग्यता रखता है। अगर हमारी और परमात्मा की दिशा एक हो जाए तो अंत में दशा भी एक हो सकती है अर्थात हम भी कभी न कभी परमात्मा बन सकते हैं। हम संसार की वस्तुओं में सुख खोजने का काम करते हैं जबकि ज्ञानी भगवंत संसार की वस्तुओं को केवल एक साधन मानते हैं जिसकी सहायता से हम संसार को कम भी कर सकते हैं और बढ़ा भी सकते हैं। चातुर्मास काल हमारे लिए एक सुअवसर लेकर आया है।

इस अवसर का हमें ऐसा लाभ उठाना है कि जिनवाणी और जिनेश्वर परमात्मा हमारे अंतरहृदय में श्रद्धा हो जाए और हम भी भगवान महावीर के एक अच्छे और सच्चे श्रावकों की गिनती में आ सके। बागवान महावीर के हजारों श्रावक थे लेकिन नाम केवल 10 श्रावकों का लिया जाता है। इसका कारण यह कि उन 10 श्रावकों का आचरण श्रेष्ठ था। वास्तव में जिस दिन वहीं आचरण हमारे जीवन में भी आ जाएगा उस दिन हम भी एक श्रेष्ठ श्रावक बन जाएंगे। एक सच्चा और अच्छा श्रावक जीवन में आत्मविकास के मार्ग पर चलकर परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। एक सच्चा श्रावक अपनी आत्मा को पहचान सकता है।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा

Most Popular

To Top