Jharkhand

आदिवासी समाज ने मानवजाति को प्रकृति के साथ सांमजस्य बनाकर खुशहाल जीवन जीने का मार्ग दिखाया: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री की तस्वीर

रांची, 09 अगस्त (Udaipur Kiran) । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस पर अपने पिता स्वर्गीय शिबू सोरेन को याद किया और उनके दिखाए रास्तों पर चलने का संपल्प लिया। उन्होंने आदिवासी समाज के सभी वीर पुरुखों को नमन किया।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल माडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि आज विश्व आदिवासी दिवस है। आज मेरे मार्गदर्शक, मेरे गुरु, मेरे बाबा सशरीर मेरे साथ नहीं हैं, मगर उनका संघर्ष, उनके विचार, उनके आदर्श हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। वह न केवल मेरे पिता थे, बल्कि समस्त आदिवासी समाज समेत झारखंड की आत्मा, संघर्ष के प्रतीक और जल, जंगल, जमीन के सबसे मुखर रक्षक भी थे।

मुख्यमंत्री ने लिखा है कि यह आदिवासी समाज ही है जिसने मानवजाति को प्रकृति के साथ सांमजस्य बनाकर खुशहाल जीवन जीने का मार्ग दिखाया है। आदिवासी समाज का जीवन-दर्शन प्रकृति से ही शुरु और प्रकृति पर ही खत्म होता है। मगर सदियों से खुद आदिवासी तथा शोषित-वंचित समाज हाशिये पर खड़े रहने को मजबूर रहा। बाबा ने इसी स्थिति को बदलने के लिए अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया था।

उन्होंने लिखा है कि विश्व आदिवासी दिवस पर राज्य भर में होने वाले कार्यक्रम बाबा लिए प्रिय रहा। क्यूोंकि यह अवसर आदिवासी समाज की समृद्ध सभ्यता और संस्कृति को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम रहा है। आदिवासी समाज की प्रतिभा को वैश्विक मंच देने का अवसर बना है।

मुख्यमंत्री ने लिखा है कि आज पूरा विश्व आदिवासी दिवस मना रहा है। इस अवसर पर मैं बाबा दिशोम गुरु सहित उन सभी वीर पुरुखों को नमन करता हूं, जिन्होंने संघर्ष और शहादत देकर हमारी पहचान, हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता और हमारे अधिकारों की रक्षा की। विश्व आदिवासी दिवस पर मैं नमन करता हूं अपने वीर पुरखों को और संकल्प लेता हूं कि उनके दिखाए मार्ग पर चलकर झारखण्ड और देश में आदिवासी अस्मिता की मशाल को और ऊंचा करूंगा। झारखण्ड के वीर अमर रहें। देश के समस्त वीर आदिवासी योद्धा अमर रहें। जय जोहार, जय आदिवासियत, जय झारखंड।

मुख्यमंत्री ने यह भी लिखा है कि सुदृढ गांव-सशक्त राज्य और समृद्ध देश की नींव है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता स्वर्गीय शिबू सोरेन के पारंपरिक श्राद्ध कर्म के पांचवे दिन स्थानीय मान्यताओं के अनुरूप अपने परिजनों के साथ परंपरागत रस्म भी निभाया।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे

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