

अंबिकापुर, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । श्री साई बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अंबिकापुर में शनिवार को आयोजित एकदिवसीय सेमिनार में वक्ताओं ने कहा कि जनजाति समाज केवल संस्कृति और परंपरा का वाहक ही नहीं, बल्कि देश का प्रहरी है, जिसने सदियों से भारतीय सभ्यता को सुरक्षित रखा है। “जनजाति समाज का गौरवशाली अतीत, ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान” विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता आदिवासी समाज के चिंतक इंदर भगत ने कहा कि यह समाज अपनी जीवन शैली में सदैव समानता और संवेदनशीलता को सर्वोपरि रखता आया है। दहेज प्रथा और भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों का इस समाज में स्थान ही नहीं रहा। बेटियों के सम्मान और सुरक्षा की परंपरा ने इसे सामाजिक संतुलन का प्रेरक उदाहरण बनाया है।
इंदर भगत ने बताया कि देश की कुल आबादी में जहां जनजाति समुदाय लगभग 32 प्रतिशत है, वहीं सरगुजा और बस्तर में यह अनुपात 65 प्रतिशत तक पहुँचा हुआ है। उनके अनुसार स्वतंत्रता संग्राम से लेकर सामाजिक आंदोलनों तक, इस समाज के योगदान को इतिहास के पन्नों में पर्याप्त जगह नहीं मिल पाई, जबकि जनजातीय समुदाय ने जंगलों, परंपराओं और लोककला को संरक्षित कर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखा है। उन्होंने बिरसा मुंडा, संत गहिरा गुरु, माता राजमोहिनी देवी, लागूर किसान, जगदेवराम उरांव, राजनाथ भगत से लेकर रानी दुर्गावती, झांसी की रानी और सरदार पटेल तक के प्रेरक प्रसंगों को साझा किया।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती, श्री साईनाथ और जनजाति समाज के महान व्यक्तित्वों के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण में कहा कि जनजाति समाज ने कभी भी गुलामी स्वीकार नहीं की और हमेशा अपने सामाजिक अस्तित्व और संस्कृति की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने नीलाम्बर-पीताम्बर और तिलका मांझी के साहसिक संघर्षों का उल्लेख किया।
सेमिनार के संयोजक डॉ. रवींद्र नाथ शर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा ने केवल सामाजिक जागरण ही नहीं, बल्कि राजनीतिक संघर्ष भी लड़ा। विदेशी आक्रांताओं ने भारत की आत्मा पर प्रहार किया था, लेकिन जनजाति समाज ने गांवों की आत्मा और संस्कृति को एकजुट कर देश की जड़ों को मजबूत रखा। कार्यक्रम के दौरान जनजाति समाज की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत कर्मा और पारंपरिक नृत्य ने उपस्थित लोगों को लोकसंस्कृति से रूबरू कराया।
मुख्य अतिथि इंदर भगत को शाल, श्रीफल और स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक देवेंद्र दास सोनवानी और पल्लवी द्विवेदी ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. श्रीराम बघेल ने किया। इस अवसर पर डॉ. शैलेश देवांगन, डॉ. विवेक कुमार गुप्ता, डॉ. दिनेश शाक्य सहित महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक व विद्यार्थी मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / पारस नाथ सिंह