


जयपुर, 15 नवंबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि जनजाति समुदाय ने सदियों से प्रकृति, संस्कृति, साहस और सत्य के मार्ग को जीवंत रखा है। राजस्थान के हृदय में सबसे जीवंत और प्रखर धारा के रूप में हमारे आदिवासी भाई-बहन हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों का इतिहास संघर्ष से भरा है, लेकिन उससे भी अधिक गौरवपूर्ण है। इन्होंने जल, जंगल और जमीन के साथ संतुलन बनाकर विश्व को जीना सिखाया है। त्योहार, गीतों और परम्पराओं से राजस्थान की पहचान को समृद्ध बनाया है। उन्होंने कहा कि जनजातियों के नृत्य में ताल ही नहीं, बल्कि पीढ़ियों की कहानियां समाहित हैं। इसी प्रकार, त्योहारों में रंग ही नहीं, आदिवासी गौरव की चमक भी बसती है। राज्य सरकार इन परम्पराओं को संजोने के साथ ही दुनिया के सामने गर्व से पेश करेगी। राज्य सरकार जनजाति कल्याण के लिए कृत-संकल्पित है।
शर्मा शनिवार को डूंगरपुर के श्री भोगीलाल राजकीय महाविद्यालय में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित राज्य स्तरीय जनजातीय गौरव दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब हम भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हैं, तब हमें प्रदेश के उन अमर जननायकों का भी स्मरण करना चाहिए, जिन्होंने इस धरती को वीरता और बलिदान से पवित्र किया। गोविंद गुरु ने मानगढ़ की पहाड़ियों पर भील समाज को संगठित कर भगत आंदोलन का नेतृत्व किया। इसी प्रकार, वीर बालिका कालीबाई ने महज 12 वर्ष की आयु में अपने गुरु की रक्षा के लिए बलिदान दिया। ये सभी केवल नाम नहीं हैं बल्कि हमारी धरोहर और पहचान हैं।
शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद दशकों तक जनजाति समाज के योगदान को वह सम्मान नहीं मिला, जिसका वह हकदार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2021 से हर वर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। उनकी यह पहल इन समुदायों के महान योगदान, बलिदान और गौरवशाली विरासत को सच्चा सम्मान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वर्ष भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का है। साथ ही, राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने का भी है। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की यह रचना सिर्फ गीत नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रभक्ति की आत्मा है। इसने स्वतंत्रता संग्राम के प्रत्येक सेनानी के हृदय में जोश और आस्था की ज्वाला प्रज्वलित की।
शर्मा ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा से लेकर सुभाष चंद्र बोस और सरदार वल्लभभाई पटेल तक सभी ने इसी भावना से शक्ति पाई, और भारत माता की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व समर्पित किया।
शर्मा ने कहा कि 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलिहातु गांव में जन्मे भगवान बिरसा मुंडा ने अल्पायु में ही अन्याय और शोषण के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजा दिया। सामाजिक असमानता और अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों ने उनके अंतर्मन को विद्रोह से भर दिया। केवल 15 वर्ष की आयु में उन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और 25 वर्ष की आयु में ‘उलगुलान आंदोलन’ का नेतृत्व कर पूरे देश में जनक्रांति की लौ जलाई।
जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबू लाल खराड़ी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। देश की आजादी में अपना बलिदान और योगदान देने वाले अनेकों जनजाति महानायकों के इतिहास को पहले कभी आमजन के सामने नहीं लाया गया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान और गौरव को याद करने के लिए हर वर्ष जनजाति गौरव दिवस मनाने की शुरूआत की।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जनजातीय गौरव दिवस पर 87 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उन्होंने 25 करोड़ की लागत से विभिन्न विद्यालयों और छात्रावासों में क्षमता वृद्धि एवं विभिन्न ग्राम पंचायतों में सौर ऊर्जा द्वारा संचालित सामुदायिक जलोत्थान सिंचाई योजना के कार्यों का लोकार्पण किया। साथ ही, 62 करोड़ की लागत से आवासीय विद्यालय, छात्रावास, खेल अकादमी और सड़क से जुड़े विभिन्न कार्यों के शिलान्यास की भी सौगात दी।
शर्मा ने कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के 53 हजार 766 लाभार्थियों को फार्म पौंड, डिग्गी, पाइपलाइन, तारबंदी, कृषि यंत्र, गोवर्धन उर्वरक योजना एवं विभिन्न खेती के कार्यों के लिए और कृषि की पढ़ाई कर रहीं छात्राओं को प्रोत्साहन राशि के रूप में 200 करोड़ रुपये की राशि डीबीटी की। उन्होंने 12 हजार से अधिक जनजाति छात्र-छात्राओं को पोशाक एवं स्टेशनरी के लिए 4 करोड़ 8 लाख रुपये की राशि हस्तान्तरित की। सीताबाड़ी मंदिर परिसर में सौन्दर्यीकरण, जीर्णोद्धार एवं विकास कार्य आरंभ किए तथा जनजाति भवन जयपुर में विभिन्न परीक्षाओं की कोचिंग के लिए जनजाति छात्राओं के आवासीय बैच का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने सिपेट जयपुर में जनजाति युवाओं के लिए निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया तथा आरकेसीएल द्वारा जनजाति युवाओं के लिए उदयपुर, डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा में 3 प्रशिक्षण ज्ञान केन्द्रों पर आरएस-सीआईटी कोर्स का शुभारम्भ किया। उन्होंने सौंध माटी आदि धरोहर प्रलेखन योजना की शुरूआत की और जनजातीय योजना व साहित्य से जुड़ी दो पत्रिकाओं का विमोचन किया। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्यों के लिए जनजाति गौरव सम्मान एवं शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए युवाओं को जनजाति प्रतिभा सम्मान भी प्रदान किया।
गुजरात के डेडियापाड़ा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गरिमामय उपस्थिति में आयोजित हुए जनजाति गौरव दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शर्मा वीसी के माध्यम से जुड़े और प्रधानमंत्री के संबोधन को सुना।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने जनजाति गौरव एवं विकास आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने ट्राइफेड, राजस व राजीविका द्वारा विभिन्न निर्मित उत्पादों एवं माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा निर्मित कलाकृतियों की सराहना की। साथ ही, उन्होंने विभिन्न विभागों की स्टॉल्स पर लाभार्थियों को चैक, ट्राई साइकिल एवं स्कूटी का वितरण किया।
इस अवसर पर राजस्व मंत्री हेमन्त मीणा, सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक, सांसद चुन्नीलाल गरासिया, मन्नालाल रावत, विधायक शंकर लाल डेचा, फूलसिंह मीणा, ताराचंद जैन सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, उच्चाधिकारी एवं बड़ी संख्या में जनजाति समाज के आमजन मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran)