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कर्नाटक उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद परिवहन कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित की

Protest stop

बैंगलोर, 5 अगस्त (Udaipur Kiran) । कर्नाटक परिवहन कर्मचारियों ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की चेतावनी बाद संयुक्त कार्रवाई समिति द्वारा शुरू की गई हड़ताल वापस ले ली है। विभिन्न मांगों के समर्थन में परिवहन कर्मचारियों ने आज हड़ताल शुरू कर दी थी, जबकि सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही अदालत ने उन्हें हड़ताल एक दिन के लिए स्थगित करने का निर्देश दिया था। आज हुई सुनवाई के दौरान, अदालत ने हड़ताल पर बैठी परिवहन निगम ट्रेड यूनियनों की संयुक्त कार्रवाई समिति को आड़े हाथों लिया। न्यायाधीश ने साफ तौर पर कहा कि अगर हड़ताल वापस नहीं ली गई, तो अदालत की अवमानना का मामला दर्ज किया जाएगा। साथ ही चेतावनी दी कि सरकार कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों को एस्मा कानून के तहत गिरफ्तार कर सकती है। अदालत की चेतावनी के बाद परिवहन कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित कर दी है।

परिवहन कर्मचारी संघ ने अदालत को सूचित किया है कि वह कल से हड़ताल पर नहीं जाएंगे। सड़क परिवहन निगम कर्मचारियों की संयुक्त कार्रवाई समिति के वकील ने यह जानकारी मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति सी. एम. जोशी की पीठ को दी, जो बेंगलुरु के जे. सुनील और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

मंगलवार को अदालत की कार्यवाही शुरू होते ही सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता शशिकरण शेट्टी ने कहा कि परिवहन एक आवश्यक सेवा है। परिवहन कर्मचारियों ने हड़ताल का आह्वान किया है, जिससे आम आदमी को भारी परेशानी हो रही है। सरकार औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत परिवहन निगम कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के साथ मध्यस्थता बैठक कर रही है। इस दलीी के बाद अदालत ने परिवहन हड़ताल स्थगित करने का आदेश दिया ।

इस दौरान, पीठ ने सड़क परिवहन निगम कर्मचारी संघ के वकील से पूछा कि क्या हड़ताल वापस ले ली गई है। वकील ने जवाब दिया कि बेंगलुरु में यातायात जारी है। उन्होंने बताया कि कुछ संचार समस्याओं के कारण ज़िलों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी। इस पर असहमति व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद हड़ताल जारी रखना अदालत की अवमानना है और चेतावनी दी कि कर्मचारी यूनियनों के पदाधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका दायर की जाएगी। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि हड़ताल स्थगित करने की विधिवत सूचना बुधवार को पीठ को दी जाए।

पीठ ने कहा कि अगर परिवहन निगमों के कर्मचारियों को कोई समस्या है तो वे सरकार से बात करके समाधान निकालें, अन्यथा आम लोगों को परेशानी में डालना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आवश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम (एस्मा) लागू होने के बावजूद हड़ताल चलाया जाना बर्दास्त नहीं किया जाएगा। संगठन के पदाधिकारियों को एस्मा के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है। अदालत ने बुधवार को यूनियन को हड़ताल के बारे में जानकारी देने का निर्देश देते हुए सुनवाई 7 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।

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(Udaipur Kiran) / राकेश महादेवप्पा

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