
धर्मशाला, 17 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एन.एम.एन.एफ) के अंतर्गत कांगड़ा जिले के किसानों के लिए प्राकृतिक खेती पर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान कृषि विश्वविद्यालय के जैविक कृषि और प्राकृतिक खेती विभाग द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में कांगड़ा जिले के तीन कृषक समूहों अंद्रेटा, पढियारखर और सगूर के 218 किसानों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के जैविक एवं प्राकृतिक खेती विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. जनार्दन सिंह ने की। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एन.एम.एन.एफ) के अंतर्गत प्राकृतिक खेती की विभिन्न तकनीकों और पहलुओं पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना था।
डॉ. सिंह ने किसानों को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण फसल उत्पादन और पर्यावरण अनुकूल पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी बताया कि प्राकृतिक खेती पूरी तरह से गाय और स्थानीय रूप से उपलब्ध कृषि संसाधनों पर आधारित है और पूरी तरह से रसायन मुक्त है।
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती के अंतर्गत उगाए गए मक्का, गेहूं और हल्दी की खरीद के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) तय किया है। इन दोनों प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान जैविक कृषि और प्राकृतिक खेती विभाग के वैज्ञानिक डॉ. रामेश्वर कुमार और डॉ. गोपाल कतना ने प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती के महत्व, लाभ, तकनीकी पहलुओं जैसे बीज उत्पादन, गोबर आधारित खाद के साथ-साथ मल्चिंग और फसल विविधीकरण और संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग के बारे में प्रेरित और प्रशिक्षित किया। जबकि, डॉ. राकेश कुमार ने प्राकृतिक कृषि प्रणाली के अंतर्गत पौध संरक्षण की विभिन्न तकनीकों, व्यावहारिक तैयारी तकनीकों और जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, दरेकास्त्र, दशपर्णी आदि विभिन्न सामग्रियों के उपयोग पर जानकारी प्रदान की।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
