
देहरादून, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड के पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर देश के ऐतिहासिक स्थलों पर शोध और इन पर अंकित लिपियों के अनुवाद की मांग की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह हमारी सभ्यता और संस्कृति को समझने के लिए बेहद जरूरी है।
सतपाल महाराज ने कहा है कि सिन्धु घाटी सभ्यता की स्क्रिप्ट का अनुवाद करवाया जाना चाहिए। उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में स्थित पाषाणकालीन लखुडियार की अति प्राचीन पेंटिंग का इतिहास, जौनसार क्षेत्र में स्थित प्राचीन गुफाओं एवं सरस्वती नदी के उद्गम स्थल के रहस्य आदि पर भी पुरातत्व विभाग के माध्यम से शोध किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।
संस्कृति मंत्री महाराज ने कहा कि हमारी समृद्ध संस्कृति और यहां के ‘प्राचीन इतिहास एवं सभ्यता पर गहन शोध की आवश्यकता है। हमारे देश में अनेकों ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जिन पर अंकित लिपि का अनुवाद और शोध होना जरूरी है। उन्होंने केन्द्रीय संस्कृति मंत्री से अनुरोध किया है कि सिन्धु घाटी सभ्यता की स्क्रिप्ट का अनुवाद करवाने के साथ-साथ बलूचिस्तान के लोगों द्वारा जो ब्राहुई भाषा का प्रयोग किया जाता है, वह हमारी तमिल, तेलगू और मलयालम से मिलती-जुलती है। कन्धार में बसे लोग गन्धारी की संतान बतायी जाती है, ये सभी हमारी संस्कृति का अनुसरण करते हैं। अतः इन सभी पर शोध किये जाने की अत्यन्त आवश्यकता है।
संस्कृति मंत्री ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का विदेशों में भी अप्रत्यक्ष रूप से अनुसरण किया जाता है। इराक के कुर्द लोग अपने घर में मोर की फोटो लगाते हैं, यूरोप में बसे हुए उत्तर भारत मूल के जिप्सी समाज के लोग हस्तरेखा देखकर भविष्य बताने का काम करते हैं।
उन्होंने केन्द्रीय मंत्री शेखावत से अनुरोध किया कि ऐतिहासिक स्थलों एवं विदेशों में हमारी संस्कृति को धारित किये विभिन्न जाति के लोगों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कराते हुए इसमें शोध करवाये जाने हेतु सम्बन्धित विभागों को निर्देशित किया जाये।
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(Udaipur Kiran) / विनोद पोखरियाल
