
मीरजापुर, 18 जून (Udaipur Kiran) । स्वच्छता मिशन के सपनों को छानबे विकास खंड के बसंतपट्टी गांव में जमीनी हकीकत ने आईना दिखा दिया है। गांव के सामुदायिक शौचालय पर ताला जड़ा है, गंदगी का आलम ऐसा कि प्रवेश करना भी दूभर और वजह है वर्षों की उपेक्षा, बिना भुगतान के सेवा और जवाबदेही से पल्ला झाड़ती व्यवस्था।
गांव की केयरटेकर सावित्री देवी कहती हैं कि ढाई-तीन साल से मानदेय नहीं मिला। साफ-सफाई का पैसा भी नहीं। प्रधान और सेक्रेटरी बस एक-दूसरे की ओर उंगली करते हैं।
महिला शौचालय में टूटी पाइपलाइन और जमी हुई गंदगी इसे अनुपयोगी बना चुकी है, जबकि पुरुष शौचालय पर ताले के साथ बदबू का पहरा है। गेट पर मवेशी बंधे मिले और रास्ते में पसरी गंदगी गांव की सफाई व्यवस्था पर सवाल उठाती है।
ग्रामवासियों नन्हे लाल, जयमानी देवी, सुनीता, जोगेंद्र कुमार ने बताया कि खुले में शौच की मजबूरी अब भी कायम है, क्योंकि तालाबंदी के चलते लोगों को शौच के लिए लौटना पड़ता है।
प्रभारी एडीओ पंचायत बृजेश सिंह ने कहा कि सेक्रेटरी और एसबीएम ग्रामीण के क्वार्डिनेटर को कारण बताओ नोटिस भेजा जाएगा। वहीं, सचिव ने सफाई में कहा कि हमारे पास और भी काम हैं, शौचालय अकेला दायित्व नहीं।
गांव की महिलाएं अब डीपीआरओ से गुहार लगा रही हैं कि या तो सुविधा बहाल की जाए या इसका ताला हमेशा के लिए खोल दिया जाए, ताकि कम से कम इसे ‘सामुदायिक शौचालय’ कहलाने लायक तो बनाया जा सके।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
