Madhya Pradesh

आज है संघ संस्‍थापक डॉ. हेडगेवार की पुण्‍यतिथि, मुख्‍यमंत्री यादव ने किया याद

मुख्‍यमंत्री डाॅ मोहन यादव ने किया आरएसएस संस्‍थापक डॉ हेडगेवार को याद, किया नमन

भोपाल, 21 जून (Udaipur Kiran) । राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ को आज विश्‍व में कौन नहीं जानता। लगातार तीन बार केंद्र में भाजपा की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्‍वयं राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के स्‍वयंसेवक हैं, वैसे ही देश के कई राज्‍यों में मुख्‍यमंत्री, उसके मंत्रीमण्‍डल के तमाम सदस्‍यगण तथा शासन प्रशासन में आज करोड़ों लोग हैं जो इस आरएसएस से जुड़े हुए हैं। इस संस्‍थान की स्‍थापना जिन्‍होंने 1925 में की, उन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का आज शनिवार को पुण्‍य स्‍मरण दिवस भी है। ऐसे में देश भर में स्‍वयंसेवक आज के दिन उन्‍हें बहुत श्रद्धा के साथ याद कर रहे हैं। मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी उन्‍हें इस अवसर पर स्‍मरण किया है।

उन्‍होंने डॉ. हेडगेवार को याद करते हुए सोशल मीडिया एक्‍स पर लिखा, “मां भारती के अनन्य उपासक, आरएसएस के संस्थापक एवं प्रथम सरसंघचालक, श्रद्धेय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। अनुशासन और संगठन शक्ति के द्वारा भारत को परम वैभव की ओर ले जाने के लिए संकल्पित श्रद्धेय हेडगेवार जी के प्रखर विचार, कृतित्व एवं अद्भुत व्यक्तित्व राष्ट्रसेवकों का सदैव मार्गदर्शन करते रहेंगे।” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के यशस्वी संस्थापक डा केशव बलीराम हेडगेवार की आज पुण्यतिथि हhttps://x.com/DrMohanYadav51/status/1936276534974611607

उल्‍लेखनीय है कि सन् 1940 में 21 जून को जब उन्होंने अंतिम सांस ली थी, तब उनकी आयु मात्र 51 वर्ष थी । 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के रूप में उन्होंने जो पौधा लगाया था वह संघ आज एक विशाल वट वृक्ष का रूप ले चुका है। डॉ. हेडगेवार का हिंदू समाज के लिए यही कहना था कि वह एक सूत्र में बंधने का संकल्प ले ले तो दुनिया की वह महान शक्‍ति के रूप में विश्‍व के सामने होगा। डा हेडगेवार ने आठ वर्ष की छोटी सी आयु में ही यह प्रमाण दे दिया था कि राष्ट्रप्रेम उनके अंदर कूट कर भरा हुआ है। यह मौका था रानी विक्टोरिया के राज्यारोहण की साठवीं वर्षगांठ का जब इस उपलक्ष्य में उनके स्कूल में बांटी गई मिठाई का दोना उन्होंने घर आकर तिरस्कार पूर्वक फेंक दिया था। इसके बाद तो उनके व्यवहार में अंग्रेजी साम्राज्य के प्रति नफ़रत के प्रमाण बार बार मिलने लगे थे। एक क्रांतिकारी, एक सत्‍याग्रही और समाज सेवी के रूप में उनके पूरे जीवन से जुड़े अनेक संस्‍मरण आज मौजूद हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के बाद डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार संघ कार्यकर्ताओं से हमेशा कहा करते थे कि’ हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है और हिंदू संस्कृति हिंदुस्तान की धड़कन है इसलिए साफ है कि अगर हिंदुस्तान की रक्षा करनी है तो हिंदुत्व को संवारना होगा।’ हिंदू समाज को संगठित होने का आह्वान करते हुए डॉ. हेडगेवार ने कहा था कि ताकत संगठन के जरिए आती है इसलिए ये हर हिंदू का कर्तव्य है कि वह हिंदू समाज को मजबूत बनाने के लिए हर संभव कोशिश करे। हिंदू समाज को संगठित करने के लिए डॉ. हेडगेवार ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। वे मानते थे कि हिंदू समाज को शक्तिशाली बनना है तो सबसे उसे एक सूत्र में बंधना होगा।छिन्न भिन्न समाज कभी ताकतवर नहीं बन सकता ।

डाक्टर साहब ने हिंदू समाज को कमजोर करने वाली सामाजिक विषमताओं को दूर करने के लिए भी अभियान चलाया जिसने आगे चलकर सामाजिक समरसता अभियान का अभियान का रूप ले लिया। वे जीवन भर जातीय और आर्थिक भेद-भाव, ऊंच-नीच और अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराईयों का पुरजोर विरोध करते रहे और संघ को इन सब बुराईयों से हमेशा दूर रखा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक और प्रथम सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार का संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या और संघर्ष की ऐसी कहानी है जो संघ को समझने की उत्सुकता रखने वाले हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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