West Bengal

मनरेगा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को टीएमसी ने बताया केंद्र के लिए ‘सबसे बड़ा झटका’

कोलकाता, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने मंगलवार को – उच्चतम न्यायालय

के उस फैसले का स्वागत किया है जिसमें पश्चिम बंगाल में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को आगामी एक अगस्त, 2025 से लागू करने का निर्देश बरकरार रखा गया है। पार्टी ने इसे केंद्र सरकार के लिए “सबसे बड़ा झटका” और राज्य के गरीब लोगों की “बड़ी जीत” बताया।

उच्चतम न्यायालय

ने सोमवार को केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 18 जून के आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि पश्चिम बंगाल में मनरेगा योजना को एक अगस्त, 2025 से भावी रूप से लागू किया जाए।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही केंद्र की अपील को खारिज कर दिया गया।

राज्य के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप मजूमदार ने पत्रकारों से कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह फैसला भाजपा के लिए करारा झटका है और बंगाल के गरीबों के लिए राहत की खबर। लगभग 2.58 करोड़ जॉब कार्ड धारक अब भाजपा की ‘राजनीतिक वंचित’ से मुक्त होंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने पश्चिम बंगाल के लोगों के हितों के खिलाफ जाकर उन्हें मनरेगा की सुविधा से वंचित किया। मजूमदार ने कहा कि यह भेदभाव गैरकानूनी और राजनीतिक रूप से प्रेरित थी, जिससे राज्य के गरीबों को सबसे अधिक नुकसान हुआ।

मजूमदार ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र से भुगतान बंद होने के बाद राज्य के कोष से मनरेगा मजदूरों को भुगतान कराने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इस बंगाल के लोगों के साथ दोहरा रवैया के खिलाफ बार-बार आवाज उठाई और दिल्ली में विरोध प्रदर्शन भी किए।”

कलकत्ता उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्र सरकार इस योजना के कार्यान्वयन के दौरान किसी भी गड़बड़ी से बचने के लिए पश्चिम बंगाल में विशेष शर्तें या प्रतिबंध लागू कर सकती है। अदालत ने केंद्र को राज्य के कुछ जिलों में कथित अनियमितताओं की जांच जारी रखने की अनुमति दी थी, लेकिन साथ ही यह भी निर्देश दिया था कि योजना को एक अगस्त से प्रभावी रूप से लागू किया जाए।

उच्चतम न्यायालय ने कहा था, “इस समय अदालत का मुख्य उद्देश्य राज्य में उस योजना के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है, जो लगभग तीन वर्षों से ठप पड़ी हुई है। केंद्र को यह अधिकार रहेगा कि वह किसी भी अतिरिक्त शर्त के तहत योजना को सुचारु और पारदर्शी तरीके से लागू करे ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता की गुंजाइश न रहे।”———————

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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