
रामगढ़, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । रामगढ़ जिले में महर्षि वाल्मीकि की जयंती धूमधाम से मनाई गई विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में महर्षि वाल्मीकि को सनातन धर्म का केंद्र बिंदु बताया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से विश्व हिन्दू परिषद् के प्रांत कार्यकारी अध्यक्ष तिलक राज मंगलम, प्रांत सह मंत्री मनोज पोद्दार एवं जिला कार्यकारी अध्यक्ष अतुलेश सिंह उपस्थित हुए।
महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण कर एक-एक कर सभी ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। प्रांत कार्यकारी अध्यक्ष तिलक राज मंगलम ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि विश्व के पहले कवि हैं। महर्षि वाल्मीकि 64 विद्या के ज्ञाता तथा श्रेष्ठ कुलोत्पन्न थे। रामायण महाकाव्य के वे रचनाकार हैं।
रामायण के कारण ही भगवान श्रीराम के उदात्त, प्रेरक चरित्र की जानकारी हम सभी को प्राप्त हुई। सारे विश्व में रामायण का असीम, अमिट प्रभाव है। महर्षि वाल्मीकि आश्रम में सीता माता रहीं। वही लव-कुश का जन्म हुआ। उन्हें संस्कारित, प्रशिक्षित करने का कार्य महर्षि वाल्मीकि ने किया। लव कुश श्रीराम की सारी सेना को परास्त किया। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि एक जाति के नहीं, बल्कि सारे हिन्दू समाज के श्रद्धा केन्द्र हैं।
विहिप हिन्दू समाज को संगठित करने का काम करती है। सभी प्रकार के जातिगत भेदभाव, उच्च-नीचता, अस्पृश्यता मिटाने के लिए परिषद प्रयत्न करती है। भारत में पहले केवल चार वर्ण थे और कोई भेदभाव नहीं था। अस्पृश्यता की बीमारी तो इस्लाम के आक्रमण के बाद बढ़ गई है।आक्रांताओं ने पराभूत हिन्दुओं को पकड़कर कहा, या तो इस्लाम स्वीकार करो या हमारे घर का मैला उठाओ। कुछ लोगों ने मैला उठाने का कार्य स्वीकार किया परन्तु अपना धर्म नहीं बदला।आज हम उन्हे वाल्मीकि कहते हैं।
कार्यकारी अध्यक्ष अतुलेश सिंह ने कहा कि वाल्मीकि समाज के गोत्र- राठौड़, चौहान, परमार, सोलंकी हैं। यही गोत्र राजपूत क्षत्रियों के हैं। अनुसूचित जातियां और जनजातियां हमारे स्वतंत्रता सेनानी है। यह जातियां धर्म और देश के लिए लड़ी है। उन्होंने अस्पृश्यता को स्वीकार किया परन्तु अपना धर्म नहीं बदला। ये सारे धर्मयोद्धा हैं। समाज में सामाजिक समरसता आनी चाहिए, सभी भेदभाव, उच्च-नीच समाप्त होनी चाहिए।
इस अवसर पर जिला मंत्री छोटू वर्मा, जिला सत्संग प्रमुख संतोष सिंह, बिरजू गोयनका,विनय शर्मा,पिंकी देवी ,चंपा सिंह, दिव्या कुमारी ,बसंती देवी ,सरस्वती देवी, गायत्री देवी, मंजू देवी, रागिनी देवी सहित अन्य मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश
