Uttar Pradesh

‘तिलक द्वार’ बना प्रभु श्रीराम के दिव्य आगमन का प्रतीक

अयोध्या में बीएचयू की रचनात्मक उत्कृष्टता की आभा ‘तिलक द्वार’
अयोध्या में बीएचयू की रचनात्मक उत्कृष्टता की आभा ‘तिलक द्वार’

बीएचयू की कलात्मक प्रतिभा से साकार हुआ अयोध्या का नया गौरव

वाराणसी, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की सृजनात्मक उत्कृष्टता अब अयोध्या की पवित्र धरती पर ‘तिलक द्वार’ के रूप में अपने अद्भुत स्वरूप में प्रतिष्ठित हुई है। यह भव्य द्वार भगवान श्रीराम के विजयी एवं दिव्य आगमन का प्रतीक बनकर सम्पूर्ण नगरी को आलोकित कर रहा है।

इस अद्वितीय रचना की परिकल्पना और डिज़ाइन बीएचयू के दृश्य कला संकाय के अप्लाइड आर्ट्स विभाग के अध्यक्ष प्रो. मनीष अरोड़ा और वरिष्ठ शोधार्थी राहुल कुमार शॉ ने की है। यह विशाल द्वार अयोध्या के हनुमान गुफा मार्ग पर, 14 कोसी परिक्रमा मार्ग के समीप स्थापित किया गया है। दोनों कलाकारों की इस रचनात्मक उपलब्धि की व्यापक सराहना सोशल मीडिया पर भी की जा रही है।

विश्वविद्यालय के जनसंपर्क कार्यालय के अनुसार, इस अनूठे विचार की उत्पत्ति वर्ष 2024 में हुई, जब बीएचयू की एब्सट्रैक्ट आर्ट टीम ने एक वैश्विक डिज़ाइन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। उसी समय अयोध्या विकास प्राधिकरण ने राम मंदिर के मुख्य द्वार के लिए डिज़ाइन आमंत्रित किए। बीएचयू टीम ने दीपोत्सव की भाव-छटा को मूर्त रूप देने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया। प्रारंभ में इसे ‘दीप द्वार’ नाम दिया गया था, जिसे बाद में चयन समिति ने ‘तिलक द्वार’ नाम प्रदान किया — यह नाम श्रीराम के मस्तक पर अंकित उस पवित्र तिलक से प्रेरित है, जो धर्म, विजय और मर्यादा का प्रतीक है।

द्वार की कलात्मक संरचना अत्यंत प्रतीकात्मक है — इसके शीर्ष पर स्थित तीन आलोकित स्तर भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन सबके ऊपर उगता हुआ सूर्य सत्य की असत्य पर शाश्वत विजय का प्रतीक है — वही तेजस्वी प्रकाश जो रघुवंशी परंपरा से उत्पन्न होकर सम्पूर्ण सृष्टि को आलोकित करता है।

द्वार के स्तंभों पर अंकित शंख, चक्र, गदा और पद्म भगवान विष्णु के प्रतीक हैं, यह स्मरण कराते हुए कि श्रीराम विष्णु के सप्तम अवतार हैं — करुणा, धर्म और न्याय के जीवंत स्वरूप। वहीं मध्य में अंकित पवित्र लेख “राम नाम” यह सार्वभौमिक संदेश देता है “राम सबके हैं और सब राम के हैं।” भगवान महादेव, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय तथा प्रभु श्रीराम को समर्पित यह भव्य सृजन न केवल बीएचयू की सृजनात्मक प्रतिभा और आध्यात्मिक कलात्मकता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत का भी उज्ज्वल आलोक बनकर अयोध्या में प्रस्फुटित हो रहा है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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