West Bengal

अलिपुर चिड़ियाघर में बेहोश किए बिना बाघिन ‘पायल’ का हुआ यूएसजी, पशु चिकित्सा में अनोखी पहल

पायल

कोलकाता, 23 जून (Udaipur Kiran) । अलिपुर चिड़ियाघर में पहली बार एक रॉयल बंगाल टाइग्रेस का अल्ट्रासाउंड (यूएसजी) परीक्षण बिना किसी बेहोशी की प्रक्रिया के किया गया। चिकित्सा जगत में इस प्रयास को एक उल्लेखनीय कदम माना जा रहा है। 17 वर्षीय बाघिन ‘पायल’ को उसके पिंजरे में ही विशेषज्ञों की देखरेख में यह परीक्षण कराया गया, जिसमें वह शांत स्वभाव से खड़ी रही।

चिड़ियाघर के सूत्रों के मुताबिक, बीते कुछ समय से बाघिन पायल की सेहत ठीक नहीं थी। वह न के बराबर खाना खा रही थी और ज्यादातर समय लेटी रहती थी। उसकी गतिविधियों में आई इस सुस्ती को लेकर ‘किपर’ कर्मचारियों ने चिंता जताई और चिकित्सकों को सूचना दी। डॉक्टरों ने पिंजरे के बाहर से निरीक्षण कर स्थिति की गंभीरता को समझा और यूएसजी सहित कई जांचें करने का निर्णय लिया।

सामान्यत: ऐसे मामलों में पशु को अस्पताल ले जाकर पहले बेहोश किया जाता है, लेकिन इस बार जोखिम को ध्यान में रखते हुए चिड़ियाघर प्रशासन ने पायल को ‘स्विस केज’ नामक एक संकरे पिंजरे में रखा, जिससे उसकी हरकतें सीमित हो सकें। जब वह खड़ी हुई, तो पिंजरे की रचना इस तरह की गई थी कि वह केवल दो पैरों पर खड़ी हो सके और कोई हिल-डुल न पाए। इसी स्थिति में डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड किया।

यूएसजी से पहले जब पायल पिंजरे में लाई गई, तो उसने सहजता से खुद को आराम से ढाल लिया। कर्मचारियों ने भी उसके सिर और पीठ पर हाथ फेरकर उसे शांत किया। उनके अनुसार, बाघिन ने किसी भी प्रकार की गुर्राहट या आक्रामकता नहीं दिखाई और परीक्षण के दौरान ‘आज्ञाकारी’ की तरह खामोशी से खड़ी रही।

चिड़ियाघर के निदेशक अरुण मुखोपाध्याय ने बताया कि पायल के प्रजनन अंगों में समस्या पाई गई है। अब उसकी इलाज प्रक्रिया चिड़ियाघर के डॉक्टरों के साथ-साथ बाहरी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में जारी है। पहले जहां वह कुछ भी नहीं खा रही थी, अब उसकी भूख लौट रही है और वह भोजन ले रही है।

पायल को वर्ष 2016 में ओडिशा के नंदनकानन जू से अलिपुर चिड़ियाघर लाया गया था। उस समय उसका उद्देश्य प्रजनन कार्यक्रम को बढ़ावा देना था, लेकिन 17 साल की उम्र में अब वह वृद्धावस्था में है और प्रजनन की संभावना लगभग समाप्त हो चुकी है।

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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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