
बरेली, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) की कांस्टेबल (जीडी) भर्ती में फर्जीवाड़े का बड़ा मामला उजागर हुआ है। बल की तृतीय वाहिनी बरेली द्वारा दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान तीन महिला अभ्यर्थियों के फर्जी निवास प्रमाण पत्र पकड़े गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए आईटीबीपी ने तीनों के खिलाफ कैंट थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी है। आरोप है कि तीनों महिला रिक्रूट्स ने असम के फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी हासिल की थी।
सत्यापन में खुला राज, तीनों के दस्तावेज फर्जी
बल के अधिकारियों के अनुसार, चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब दस्तावेजों की बारीकी से जांच की गई, तब यह बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। पार्वती कुमारी, पुत्री मोहर सिंह, ने असम के नगांव जिले का स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। जांच में पता चला कि न तो यह प्रमाण पत्र असली है और न ही वह उस पते की निवासी है।
इसी प्रकार, रोशनी प्रजापति, पुत्री वीर बहादुर प्रजापति, ने कछार जिले का प्रमाण पत्र लगाया था। जब इसकी जांच कछार जिला उपायुक्त कार्यालय, सिलचर से कराई गई तो यह भी फर्जी निकला। तीसरी अभ्यर्थी प्रीती यादव, पुत्री रामकिरत यादव, ने डूलोग्राम क्षेत्र, कछार का प्रमाण पत्र जमा किया था, जिसे जांच के बाद अमान्य घोषित कर दिया गया।
एसएससी के जरिए हुई थी भर्ती, अब खतरे में नौकरी
गौरतलब है कि तीनों अभ्यर्थियों का चयन कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की वर्ष 2024 में आयोजित कांस्टेबल (जीडी) परीक्षा के माध्यम से हुआ था। लेकिन दस्तावेज़ों के सत्यापन में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद आईटीबीपी ने सख्त रुख अपनाते हुए तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
आईटीबीपी की सख्ती से फोर्स की पारदर्शिता साबित
आईटीबीपी ने साफ कर दिया है कि बल में किसी भी तरह की फर्जी जानकारी या दस्तावेज़ों के आधार पर भर्ती को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बल की सतर्कता से भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता एक बार फिर सामने आई है। कैंट थाना प्रभारी राजेश कुमार ने बताया कि तीनों महिला रिक्रूट्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की गहन जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
(Udaipur Kiran) / देश दीपक गंगवार
