West Bengal

अपडेट : ट्रेन से टकराकर मां-बच्चे समेत तीन हाथियों की मौत

वन विभाग ने रेलवे से मांग की है कि भोर पांच बजे से आठ बजे तक ट्रेनें कम गति से चलाई जाए

झाड़ग्राम, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम जिले में गुरुवार देर रात एक दर्दनाक हादसे में तीन हाथियों की मौत हो गई, जिनमें एक मादा हाथी और उसका शावक भी शामिल है। यह हादसा उस समय हुआ जब राज्य वन विभाग द्वारा नियुक्त हुला पार्टी हाथियों के झुंड को इंसानी बस्ती से दूर भगाने की कोशिश कर रही थी।

यह दुर्घटना बनस्थला रेलवे स्टेशन के पास हुई, जो खड़गपुर रेल मंडल के अंतर्गत और झाड़ग्राम शहर से लगभग 14 किमी दूर स्थित है। जानकारी के अनुसार, रात करीब 1:45 बजे खड़गपुर की ओर जा रही जनशताब्दी एक्सप्रेस ने ट्रैक पार कर रहे हाथियों के झुंड को टक्कर मार दी, जिससे मौके पर ही तीन हाथियों की मृत्यु हो गई।

इस घटना को लेकर अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह हादसा रोका जा सकता था? दरअसल, छह जुलाई को ही वन विभाग ने एक पत्र जारी कर रेलवे को सूचित किया था कि माणिकपाड़ा रेंज के अंतर्गत सेपियाबंध (जे.एल. नंबर.-508) के जंगल क्षेत्र में लगभग चार जंगली हाथियों का एक झुंड देखा गया है, जो रेलवे ट्रैक की ओर बढ़ने की प्रवृत्ति दिखा रहा है।

वन विभाग ने पत्र में स्पष्ट रूप से रात पांच बजे से सुबह आठ बजे तक ट्रेनों की गति धीमी करने का अनुरोध किया था, ताकि किसी दुर्घटना से बचा जा सके। विभाग ने यह चेतावनी भी दी थी कि हाथी अंधेरे में ट्रैक पार कर सकते हैं।

राज्य की वन मंत्री बीरबाहा हांसदा ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि एक मादा हाथी, उसका शावक और एक वयस्क हाथी इस दर्दनाक हादसे में मारे गए हैं। रेलवे को रात 11 बजे ही सूचित कर दिया गया था कि हाथियों को जंगल की ओर भगाया जा रहा है, फिर भी हादसा हुआ।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश का भी उल्लेख किया, जिसके तहत उत्तर बंगाल में हाथी गलियारों में ट्रेनों की गति सीमित करने के आदेश हैं, लेकिन दक्षिण बंगाल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। वन मंत्री ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं और स्वयं मौके का निरीक्षण करने की बात कही है।

उल्लेखनीय है कि हुला पार्टी राज्य सरकार द्वारा नियुक्त स्थानीय युवकों का समूह होता है, जो हाथियों को इंसानी बस्तियों और खेतों से दूर भगाने का काम करते हैं। ये लोग ढोल, मशाल और शोरगुल के जरिए हाथियों को जंगल की ओर मोड़ते हैं।

दुर्घटना के बाद वन अधिकारियों ने हाथियों के शवों को हटाकर ट्रैक को साफ कराया और रेल यातायात बहाल किया गया।

(Udaipur Kiran) / अनिता राय

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