
जोधपुर, 13 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट में वर्ष 2025 की तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार को किया गया।लोक अदालतों में आपसी समझाइश से कई प्रकरणों का निस्तारण किया गया। लोक अदालत का सार ना किसी की जीत, ना किसी की हार था।
राजस्थान हाईकोर्ट में शनिवार को आयोजित हुई तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए चार पीठों का गठन किया गया। जोधपुर जिला न्यायक्षेत्र के अधीनस्थ सभी तालुका विधिक सेवा समितियों फलोदी, बिलाड़ा, बालेसर, ओसियां, पीपाड़, भोपालगढ़, बाप, लोहावट एवं जिला मुख्यालय पर स्थित न्यायालयों में लंबित दीवानी एवं फौजदारी प्रकरणों, प्री-लिटिगेशन व राजस्व प्रकरणों का राजीनामे के आधार पर निस्तारण किया गया। इन बैंचों में न्यायिक अधिकारियों ने अध्यक्ष के रूप में सेवाएं दी, वहीं संबंधित राजस्व अधिकारी सदस्य के रूप में और एक स्थानीय अधिवक्ता बैंच सदस्य के रूप में उपस्थित रहे। इसी तरह महानगर क्षेत्र में चिह्नित प्रकरणों के निस्तारण के लिए कुल आठ बेंचों का गठन किया गया था।
लोक अदाल में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष प्रथम के कुल 10 परिवाद एवं द्वितीय आयोग के भी कुल 10 प्रकरण रखे गए। एडीआर सेंटर में राकेश रामावतव सदस्य अशोक कुमार जोशी अधिवक्ता की बैंच संख्या सात में आयोजित हुई। जिसमें जिला आयोग प्रथम के कुल चार प्रकरणों का निस्तारण कर कुल 831424 अवार्ड राशि पारित की गई एवं जिला आयोग द्वितीय के आठ प्रकरणों का निस्तारण कर अवार्ड राशि 1180452 पारित ाकर उपभोक्ताओं को राहत प्रदान कराई गई। इस लोक अदालत में बैंकिंग, इंश्योरेंस, बिजली, प्रोपर्टी, ऑन लाइन कंपनी के परिवाद रखे गए। दोनों आयोग द्वारा कुल राशि 2011876 का अवार्ड पारित किया गया। इस लोक अदालत में कोर्ट रीडर रेशम बाला जिला आयोग प्रथम व अरमान खान जिला आयोग द्वितीय के साथ विधिक सेवा के महेंद्र प्रताप सिंह, भागीरथ चौधरी, अजय प्रजापत, नरेंद्र कुमार का सहयोग रहा।
मतभेद दूर कर फिर साथ रहेंगे उम्मेदसिंह और किरण
उम्मेदसिंह और किरण का विवाह 20 जून 2021 को हुआ था। विवाह के पश्चात दोनों के बीच मतभेद होने से रिश्तों में दरार आ गई और 25 मई 2022 से दोनों अलग-अलग रहने लगे। इस पर उम्मेदसिंह की ओर से किरण को पुन: अपने पास बुलाने के लिए 21 अक्तूबर 2022 को हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 09 के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। प्रकरण की सुनवाई के दौरान न्यायालय में काउंसलिंग करवाई गई और इसे लोक अदालत में रेफर किया गया। लोक अदालत की प्रक्रिया में दोनों पक्षकारों ने साथ रहने की इच्छा जाहिर की। परिणामस्वरूप मुकदमा लोक अदालत की भावना के अनुरूप वापस ले लिया गया।
(Udaipur Kiran) / सतीश
