
कानपुर, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । सनातन धर्म में अपने प्रियजन की मृत्यु पर पिण्डदान व तर्पण का विधान है लेकिन समाज ने गर्भ में ही मारी गई बेटियों के लिए कभी वैदिक पूजन नहीं किया। इस भूल को सुधारते हुए हम अजन्मी बेटियों से क्षमा मांगकर उनका पिण्डदान कर रहे हैं। यह बातें रविवार को उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में युग दधीचि अंग देहदान संस्थान के संस्थापक मनोज सेंगर ने कही।
पिण्डदान के तहत सरसैया घाट पर एक भावनात्मक और अनूठा आयोजन देखने को मिला। यहां अजन्मी बेटियों, बलिदानियों और देहदानियों की आत्मा की शांति के लिए महातर्पण का आयोजन किया गया। युग दधीचि देहदान संस्थान के नेतृत्व में हुए इस कार्यक्रम में 40 महिलाओं ने विधिविधान से तर्पण और पिण्डदान किया। इस परंपरा की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी, जो अब निरंतर जारी है।
कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व महापौर जगतवीर सिंह दोषी ने किया, जबकि मुख्य अतिथि सांसद देवेन्द्र सिंह भोले ने इसे उत्तर भारत का अद्वितीय आयोजन बताया। दीप पूजन का कार्य डॉ. उमेश पालीवाल और पं. शेषनारायण त्रिवेदी ने सम्पन्न किया।
मुख्य पूजन प्रयागराज से आईं लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) प्रभा अवस्थी, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की पौत्री नंदिता मिश्र, शिक्षाविद डॉ. अलका दीक्षित, राज्य महिला आयोग सदस्य अनीता गुप्ता और डॉ. नीलम त्रिवेदी ने किया।
कलश पूजन में डॉ. सीमा श्रीवास्तव, भावना महाना, रमा महाना और पुष्पलता मिश्र शामिल हुईं, जबकि देव पूजन मधुकर महाना, सुधीर महाना, डॉ. आनंद निगम और सुमित मिश्रा ने किया।
पूजन कार्य में कई महिलाओं ने सक्रिय भागीदारी की, जिनमें मनीषा माहेश्वरी, डॉ. प्रतिभा बंधु, कमलेश उपाध्याय, विमल राय, आम्बका श्रीवास्तव और अन्य शामिल रहीं। संयोजिका माधवी सेंगर ने अतिथियों का अंगवस्त्र देकर सम्मान किया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में सुमित मिश्रा गोल्डी, सुरेन्द्र गुप्ता, राजीव महाना, मनोज अग्रवाल, अनिल राय, राव तिवारी, संजय भारती, पियूष दास और उनकी टीम का विशेष योगदान रहा। भव्य महाआरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस आयोजन ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि बेटियां जन्म से पहले ही समाज की उपेक्षा और कुरीतियों की शिकार न हों, यही सच्चा तर्पण है।————-
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
