
धमतरी, 20 सितंबर (Udaipur Kiran News) । हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व अपने दिवंगत पूर्वजों को याद करने और उनको श्रद्धांजलि देने का विशेष अवसर होता है। अपने पूर्वजों को तो हर कोई तर्पण कर श्रद्धांजलि देते हैं, लेकिन धमतरी की स्वर्गधाम सेवा समिति अनजान पितरों को भी अपने पूर्वजों की तरह पिंडदान व तर्पण कार्यक्रम करता है। इस वर्ष सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर रूद्रेश्वर महादेव घाट में स्वर्गधाम सेवा समिति 690 अनजान मृतकों को तर्पण करेगा।
स्वर्गधाम सेवा समिति 2004 से अज्ञात लाशों को सद्गति देने का बीड़ा उठाया है। यह सिलसिला लगातार जारी है। समिति द्वारा सड़े-गले लाशों को भी विधिवत अंतिम संस्कार किया जाता है। यहीं नहीं पितृ पक्ष में हर साल मृतात्माओं की शांति व मोक्ष के लिए सामूहिक पिंडदान कार्यक्रम होता है। इस वर्ष 21 सितंबर को चित्रोत्पला गंगा नदी के किनारे रूद्रेश्वर धाम रूद्री में सुबह 10 बजे से सामूहिक पिंडदान, तर्पण का कार्यक्रम रखा गया है। दोपहर 12 से एक बजे तक प्रख्यात लेप्रोस्कोपिक सर्जन डाॅ रोशन उपाध्याय पितृ तर्पण विषय पर विशेष व्याख्यान देंगे। दोपहर एक बजे शांति भोज का आयोजन किया गया है।
स्वर्गधाम सेवा समिति के महासचिव अशोक पवार ने बताया कि हिन्दू रीति-रिवाज के तहत अनजान लाशों का अंतिम संस्कार उनकी संस्था करती है। अब तक 690 अनजान मृतकों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है। 2004 से कोरोनाकाल तक भिलाई के शांति घाट से 44 अस्थि को उनके परिजन लेकर ही नहीं गए। राज्यपाल की विशेष अनुमति के बाद स्वर्गधाम सेवा समिति ने सभी 44 अस्थियों का विसर्जन किया। विधिवत इनका तर्पण भी किया जाता है।
इनका होगा सम्मान
अशोक पवार ने बताया कि कौवा, गाय, श्वान को पितृ दूत माना गया है। धमतरी में ऐसे अनेक सेवाभावी लोग हैं, जो निस्वार्थ भाव से उक्त पितृ दूतों की सेवा करते हैं। इनका भी सम्मान इस वर्ष किया जा रहा है। इनमें गौ सेवक रूपेश राजपूत, मनीष फूटान, विजयंत रणसिंह, देवेन्द्र फूटान, नीरज पांडे, श्वान सेवक पीयूष पारख, पुष्पेन्द्र वाजपेयी, काजल जैन, सिमरन कौर, भारतेषू मिश्रा, काग सेवक, प्रकाश आडवानी, घायलों की मदद करने वाले वरदान एंबुलेंस सेवा समिति के अध्यक्ष शिवा प्रधान शामिल हैं।
कौवे नहीं तो गाय, स्वान को खिलाएं पितरों का भोजन
स्वर्गधाम सेवा समिति के अध्यक्ष एवंत गोलछा, महासचिव अशोक पवार ने बताया कि पितृ पक्ष का पर्व भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण पक्ष अमावश्या तक 16 दिनों तक चलता है। इस दौरान लोग अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराना जरूरी माना जाता है। यदि कौवा न मिले तो गाय या स्वान को भोजन करा सकते हैं। पितरों का भोजन कौवा, गाय, स्वान, चींटी और देवताओं को खिलाया जाता है। इसे पंचबलि भोग कहते हैं। यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि इन पांचों को भोजन कराने से पितरों को भोजन प्राप्त होता है और वे तृप्त होते हैं।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
