

अजमेर, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को आमतौर पर हम एक क्रांतिकारी राजनेता, समाज-सुधारक, अप्रतिम पत्रकार और धर्मशास्त्र के विद्वान के रूप में जानते हैं। किंतु कम ही लोग यह जानते हैं कि वे एक प्रतिभाशाली गणितज्ञ भी थे। उनका गणितीय ज्ञान केवल शैक्षणिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि उनके तर्क, चिंतन और शास्त्रार्थ की शैली में भी स्पष्ट झलकता है।” यह उद्गार राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने तिलक जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में व्यक्त किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. भालेराव द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में स्थित लोकमान्य तिलक की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। उन्होंने कहा कि “जो व्यक्ति बुद्धिमान होता है, वही नीतिवान बनता है; नीतिवान व्यक्ति धैर्यवान होता है और धैर्यवान ही सच्चा त्यागी होता है। इन समस्त गुणों का अद्वितीय समावेश यदि किसी एक व्यक्तित्व में दिखाई देता है, तो वह हैं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक।”
प्रो. भालेराव ने लोकमान्य तिलक की विलक्षण मेधा की प्रशंसा करते हुए मराठी में कहा, “सरित्पतिचे जल मोजवेना”, अर्थात जैसे सागर का जल नहीं मापा जा सकता, वैसे ही तिलक की बुद्धिमत्ता का कोई माप नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि ऐसे महान राष्ट्रनायक की जयंती मनाना हम सभी का कर्तव्य है।
समारोह के समापन पर कुलसचिव अमरदीप शर्मा ने लोकमान्य तिलक के बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। इसके पश्चात उपस्थित शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने तिलक प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क अधिकारी श्रीमती अनुराधा मित्तल ने किया।
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(Udaipur Kiran) / संतोष
