
जयपुर, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट 23 साल की विवाहिता के फोटो और वीडियो एडिट कर सोशल मीडिया पर अपलोड करने के मामले में 19 वर्षीय नवयुवक आरोपित को तीन साल तक सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपित की दूसरी जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिए। अदालत ने आरोपित को जमानत देते हुए शर्त लगाई है कि वह साक्ष्य से छेडछाड नहीं करेगा। इसके साथ ही पीडिता और उसके परिवार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क नहीं करेगा। वहीं आरोपित शपथ पत्र पेश करेगा कि उसके पास पीडिता या उसके परिवार के किसी सदस्य की कोई फोटो और वीडियो नहीं है और यदि है तो रिहाई से पहले उसे स्थायी रूप से नष्ट किया जाएगा। अदालत ने कहा कि आरोपित जमानत लेने के बाद पीडिता या उसके परिजनों से संबंधित कोई भी संदेश व्हाट्सएप या टेलीग्राम सहित अन्य किसी भी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर शेयर नहीं करेगा। अदालत ने कहा यदि किस भी शर्त की अवहेलना हुई तो उसकी जमानत रद्द की जा सकती है।
जमानत याचिका में अधिवक्ता गिरीश खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को मामले में झूठा फंसाया गया है। उसका आपराधिक इतिहास नहीं है और ना ही उसके भागने के अंदेशा है। इसके अलावा मामले में आरोप पत्र पेश होकर पीडिता के बयान दर्ज हो चुके हैं। याचिकाकर्ता पीडिता या उसके परिजनों से जुड़ा कोई भी वीडियो और फोटो पोस्ट नहीं करेगा। इसके अलावा स्वयं या काल्पनिक नाम से सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करेगा। उसे पहली जमानत याचिका पीड़िता के बयान दर्ज होने के बाद पेश करने की छूट देते हुए वापस लेने की अनुमति दी गई थी। इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इंस्टाग्राम के फर्जी अकाउंट से 23 वर्षीय विवाहिता के वीडियो और फोटो अपलोड किए हैं। पीडिता ने गत 21 फरवरी को हिंडौन के सदर थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। याचिकाकर्ता ने वैवाहिक संबंधों में खलल डालने की कोशिश की है। इसलिए उसे जमानत नहीं दी जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपित को सशर्त जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
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(Udaipur Kiran)
