
-सरसंघचालक ने इंदौर में किया मंत्री पटेल की ‘परिक्रमा कृपा सार’ पुस्तक का विमोचन-नर्मदा परिक्रमा केवल धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह हमें प्रकृति और संस्कृति से जोड़ने का माध्यम हैइंदौर, 14 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हमारा देश श्रद्धा का देश है। यहां कर्मवीर भी हैं और तर्कवीर भी हैं। तर्क और शास्त्रार्थ में हमारा देश कहीं भी पीछे नहीं है, परंतु हम लोग जानते हैं कि श्रद्धा और विश्वास से जीवन चलता है। जिनको जड़वादी कहा जाता है, वे भी आजकल इसको मानते हैं। दुनिया श्रद्धा और विश्वास पर चलती है। आज दुनिया में संघर्ष इसलिए है, क्योंकि सभी के मन में अहम है, जिसमें केवल यह सोच है कि मैं ही आगे बढूं और दूसरा कोई आगे न बढे, इसलिए सभी आपस में भिड़े हुए हैं।
सरसंघचालक डॉ. भागवत रविवार को मध्य प्रदेश के प्रवास के दौरान इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित नर्मदा खंड सेवा संस्थान के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल की लिखी पुस्तक ‘परिक्रमा कृपा सार’ का विमोचन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी मौजूद रहे।
सरसंघचालक ने कहा कि मुझे बताया गया कि पुस्तक में नर्मदा परिक्रमा के अनुभव का वर्णन है। इसे मैंने मान्य कर लिया है, क्योंकि नर्मदा परिक्रमा बहुत बड़ी श्रद्धा का विषय है। नर्मदा परिक्रमा केवल धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह हमें प्रकृति और संस्कृति से जोड़ने का माध्यम है। यह अनुभव जीवन को नई दिशा देता है और व्यक्ति को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में ‘भगवान’ एक हों या अनेक, इससे टकराव होना स्वाभाविक है, लेकिन भारतीय दर्शन हमें सिखाता है कि ऐसे विवादों में पड़ने की आवश्यकता नहीं है। हमारे दृष्टिकोण में सिर्फ़ भगवान हैं और कोई नहीं, इसलिए सभी टकराव निरर्थक हो जाते हैं। जीवन की सच्चाई यही है कि हम सब एक हैं, लेकिन व्यवहार में हम सभी के साथ समानता नहीं बरतते। जब कोई व्यक्ति स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ मानने लगता है, तभी संघर्ष और विवाद जन्म लेते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के मन में आया कि एक कंपनी होनी चाहिए है। वे मजिस्ट्रेट के पास गए। उन्होंने कहा कि हम लोग एक कंपनी हैं। जनरल मोटर्स उसका नाम है। उनकी बात को मजिस्ट्रेट ने मान लिया, जबकि जनरल मोटर्स नाम की कंपनी का अस्तित्व है ही। कुछ लोगों ने कह दिया और एक आदमी ने मान लिया। अगर कल कोई घोटाला हो गया तो ये कह सकते हैं कि कंपनी तो मैं नहीं हूं, लेकिन जनरल मोटर्स नाम की कंपनी साल में एक लाख कारें तैयार करती है। कंपनी इतने लाख लोगों को रोजगार देती है। उसके नाम पर इतने करोड़ों का व्यवहार करते हैं। यह सब क्या है? इसे ही कहते हैं कि दुनिया विश्वास पर चलती है।
उन्होंने कहा कि हमारे यहां जो श्रद्धा है। यह कहीं सुनने से नहीं आई है। यह काल्पनिक श्रद्धा नहीं है। जो कोई प्रयास करेगा वो उसे ले सकेगा। ऐसा हम सुनते हैं कि वैज्ञानिक बुद्धि से चलो। लेकिन, वैज्ञानिक बुद्धि क्या है यानी प्रत्यक्ष प्रमाण चाहिए। लेकिन, आज ऐसा कहने वाले लोगों के पास प्रत्यक्ष प्रमाण होगा ऐसा नहीं है, लेकिन हमारे भारत की जो श्रद्धा है, उसके लिए प्रत्यक्ष प्रमाण है। प्रत्यक्ष प्रमाण साझा करने वाले लोग हैं। आपको वो प्रमाण लेना है तो प्रयास और प्रयोग करने होंगे। इसलिए श्रद्धा और विश्वास की भावना को हमारे यहां साकार रूप दिया गया है। उनको भवानी और शंकर रूप दिया है। भगवान अपने अंदर हैं। बिना श्रद्धा और विश्वास के उसके दर्शन नहीं कर सकते हैं।
डॉ. भागवत ने कहा कि गला काटने का काम, जेब काटने का काम पहले दर्जी करते थे, अब पूरी दुनिया कर रही है। बाज और कबूतर की कहानी सिखाती है कि ज्ञान और कर्म दोनों जरूरी हैं। सिर्फ ज्ञानी होकर निष्क्रिय रहना गड़बड़ी करता है। उन्होंने कहा कि जीवन एक नाटक की तरह है, जहां हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी होती है, लेकिन अंत में असली पहचान आत्मा की होती है।_______________
(Udaipur Kiran) तोमर
