Uttrakhand

बरसात में अटकी रहती हैं भूस्खलन प्रभावित खूपी के ग्रामीणों की सांसें

खूपी गांव में घरों में आ रही हैं ऐसी दरारें।

नैनीताल, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । भूगर्भीय दृष्टिकोण से जिला मुख्यालय नैनीताल के साथ इसके करीबी गांव आलूखेत व खूपी भी भूस्खलन से त्रस्त हैं। नैनीताल का आधार जिस तरह बलियानाला की ओर पिछले कई दशकों से खिसकता रहा है, बलियानाला के पार आलूखेत की स्थिति भी इसी ओर जाती नजर आती है।

वहीं मुख्यालय लगी स्थानीय विधायक सरिता आर्य की ग्राम सभा भूमियाधार के खूपी तोक की स्थिति तो कहीं अधिक चिंताजनक है। बताया जाता है कि यहां वर्ष 2011 से लगातार और हर बरसात में बढ़ने वाले भूस्खलन में ग्रामीणों की लगभग 100 नाली भूमि नष्ट हो चुकी है और घरों के आंगन से लेकर दीवारों तक पड़ीं गहरी दरारें लगातार चौड़ी होती जा रही हैं। इन कारणों से कई परिवारों ने गांव छोड़ दिया है। जबकि गांव में बचे ग्रामीणों की हर बारिश में आंखों की नींद उड़ जाती है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार खूपी गांव में वर्ष 2011 से भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन आज तक इसका स्थायी समाधान नहीं किया गया। अब वर्ष 2025 में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने हालात और भयावह बना दिए हैं। गांव की निर्मला देवी, कविता व पद्मादेवी सहित अनेक ग्रामीणों के अनुसार उनके मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं, जिससे कई परिवार अपना पुश्तैनी गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गये हैं। उल्लेखनीय है कि नैनीताल की तलहटी में बसा खूपी गांव बलिया नाले के पास स्थित है। गांव के ऊपर की ओर भारतीय सेना का छावनी क्षेत्र और आलूखेत गांव स्थित हैं, जो स्वयं भी भू-स्खलन के अत्यधिक जोखिम में हैं।

खूपी गांव की भूमि धीरे-धीरे खिसक रही है, जिससे किसी बड़ी अनहोनी की आशंका से गांव के लोग गहरे समस्या की स्थिति में हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, लेकिन केवल आश्वासन ही मिले।

प्रशासन ने कहा-जल्द होगा स्थायी समाधान

स्थानीय प्रशासन की ओर से उप जिलाधिकारी नवाजिश खलीक ने बताया कि खूपी गांव में भूस्खलन के कारण स्थिति चिंताजनक है। जिन घरों में दरारें आई हैं, उन्हें तत्काल खाली करने के निर्देश दिये गये हैं। सिंचाई विभाग द्वारा गांव के स्थायी उपचार हेतु कार्य योजना बनाई जा रही है। जल्द ही गांव के भू-स्खलन प्रभावित क्षेत्र में स्थायी समाधान के लिए कार्य शुरू किया जाएगा। यह भी समस्या है कि अपने पुश्तैनी गांव से भावनात्मक तौर पर जुड़े ग्रामीण पुर्नवासित करने के प्रस्तावों को अस्वीकारते रहे हैं और भू-स्खलन का स्थायी समाधान करने की मांग करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में इस क्षेत्र में बड़ी मानवीय त्रासदी से इनकार नहीं किया जा सकता है।

(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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