
भीलवाड़ा, 1 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) ।भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा क्षेत्र के सुरली कल्याणपुरा गांव में बुधवार सुबह एक विशालकाय चमगादड़ दिखाई दिया। करीब ढाई से तीन फीट लंबे और पांच फीट चौड़े पंखों वाला यह जीव देखकर ग्रामीणों में सनसनी फैल गई। लोमड़ी जैसे चेहरे, डरावनी आंखों और नुकीले दांतों वाला यह चमगादड़ गांव के लिए भय और कौतूहल दोनों का विषय बन गया।
सुबह-सुबह जब ग्रामीणों ने इसे देखा तो बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी दहशत में आ गए। किसी ने कहा कि ऐसा जीव उन्होंने जीवन में पहली बार देखा है। चमगादड़ की बड़ी आंखें, फूले हुए नथुने और खुले मुंह से झांकते दांत देखने वालों को सहमा रहे थे। लोग जमा हो गए, कोई वीडियो बनाने लगा तो कोई फोटो खींचने लगा। कुछ महिलाओं ने इसे अपशकुन मानकर बच्चों को घरों के भीतर ही रहने को कहा।
ग्रामीणों ने अनुमान लगाया कि यह चमगादड़ बिजली के तारों की चपेट में आ गया और करंट लगने के बाद जमीन पर गिर पड़ा। दिन के उजाले में ठीक से न देख पाने के कारण यह उड़ भी नहीं पाया। देर रात होते ही चमगादड़ उड़ गया। वहीं, एक अन्य चमगादड़ मृत अवस्था में पेड़ से लटका मिला।
घटना की जानकारी मिलने पर वन विभाग ने जांच की। मांडलगढ़ की सहायक वन संरक्षक पायल माथुर ने बताया कि यह कोई रहस्यमय प्राणी नहीं बल्कि फ्लाइंग फॉक्स नामक प्रजाति का चमगादड़ है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य रूप से पाए जाते हैं। इनका चेहरा लोमड़ी जैसा होता है और पंख फैलाने पर ये पांच फीट तक चौड़े हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह चमगादड़ इंसानों के लिए बिल्कुल खतरनाक नहीं होते। ये फल, फूलों का रस और पराग खाते हैं। परागकण और बीज फैलाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
वन अधिकारियों के अनुसार, यह प्रजाति दिन के उजाले में लगभग नेत्रहीन हो जाती है। इसलिए सुबह के समय जमीन पर गिरा चमगादड़ उड़ नहीं सका। लेकिन रात के अंधेरे में ये इकोलोकेशन तकनीक से दिशा पहचान लेते हैं और उड़ान भरते हैं।
वन अधिकारी थानमल जीनगर ने बताया कि ये प्रजाति सामान्य रूप से शाकाहारी होती है और फलों पर निर्भर रहती है। लेकिन भोजन की कमी होने पर ये छोटे पक्षियों, चूहों और खरगोशों का शिकार भी कर लेते हैं। ऐसे विशालकाय चमगादड़ कोटा जिले के चंबल वन क्षेत्र में अक्सर देखे जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रजाति के चमगादड़ से डरने की आवश्यकता नहीं है। ये इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं। ग्रामीणों से अपील की गई है कि ऐसे जीव दिखाई दें तो उन्हें नुकसान न पहुंचाएं और तुरंत वन विभाग को सूचना दें।
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(Udaipur Kiran) / मूलचंद
