
प्रयागराज, 25 जून (Udaipur Kiran) । सूर्योदय सूर्य (सांस्कृतिक सामाजिक एवं साहित्यिक संस्था) प्रयागराज एवं रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज राजापुर के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे 10 दिवसीय विलुप्त हो रहे मिश्रित लोकगीतों की प्रस्तुतिपरक कार्यशाला का समापन “लोक गुलदस्ता“ के रूप में विद्यालय के नवनिर्मित सभागार में हुआ। जिसका प्रशिक्षण सुप्रसिद्ध लोक गायक एवं उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उदय चंद परदेसी ने दिया था।
कार्यक्रम का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय तथा विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध भजन एवं ग़ज़ल गायक मनोज गुप्ता एवं सुप्रसिद्ध तबला वादक एवं आकाशवाणी के कार्यक्रम सहायक पंकज श्रीवास्तव तथा प्रशिक्षक उदय चंद परदेसी एवं सचिव सूर्यकांत ने किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यशाला में सीखे हुए गीतों के क्रम में प्रतिभागियों ने सर्वप्रथम गणेश वंदना से किया। तत्पश्चात बारहमासा कजरी गीत प्रस्तुत कर ऋतुओं का एहसास कराया। दादरा जो बहुत पुराना लोकगीत है और विलुप्तप्राय है प्रस्तुत कर विलुप्त होती हुई परंपराओं को जीवित रखा। इसके बाद सोहर प्रस्तुत किया जिसे महिलाओं ने बहुत पसंद किया, इस भीषण गर्मी को महसूस करते हुए प्रतिभागियों ने झूमर गीत प्रस्तुत किया। उसके बाद अधर की कजरी जिसकी विशेषता यह थी कि होंठ पर एक छोटी सी सुई या लकड़ी लगाकर इसे गाया जाता है, जिससे जीभ आपस में ना मिले। इस गीत में उ, ऊ, ओ, औ, प, फ, ब, भ, म एवं व का प्रयोग नहीं होता है। आपस में एक दूसरे से जीभ न मिलने पाए इसलिए गीत का नाम आधार की कजरी पड़ा है, जिसे सुनकर दर्शकों को बड़ा आश्चर्य हुआ। गीतों की प्रस्तुति के आखिरी क्रम में होली गीत ने दर्शकों को अपने स्थान से उठकर झूमने और नाचने पर मजबूर कर दिया।
गीतों की प्रस्तुति के पश्चात मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन समय-समय पर होते रहना चाहिए। ताकि लोगों को अपनी विलुप्त हो रही लोकगीतों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त हो सके और हम अपनी संस्कृति एवं पारंपरिक लोकगीतों को कभी ना भूले। ऐसे ही युवा वर्ग कार्यशाला के माध्यम से विलुप्त हो रही लोकगीतों का प्रशिक्षण प्राप्त कर इसको जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करें और उनको इससे जोड़ने की कोशिश करें। उन्होंने प्रतिभागियों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि जीवन में निरंतर ऐसे ही अभ्यास से आगे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहेंगे तो एक दिन आप अपने जीवन में जो भी लक्ष्य निर्धारित किया है उसको आप अवश्य प्राप्त कर लेंगे। इसके बाद अतिथियों ने प्रतिभागियों को संस्था का प्रमाण पत्र प्रदान कर उनका हौसला बढ़ाया।
प्रतिभागियों के साथ हारमोनियम पर प्रशिक्षक उदय चंद्र परदेसी, बांसुरी पर रवि शंकर, ढोलक पर राजेंद्र कुमार और भुवनेश्वर कांत, बैंजो पर धर्मेंद्र कुमार ऑक्टोपैड पर सुनील मिश्रा ने साथ दिया। मंच संचालन वंदना मिश्रा और सूर्यकांत ने किया। प्रतिभागी कलाकारों में प्रमुख रूप से कुमार विश्व रतन सिंह, सृष्टि वर्मा, अरनवकांत, सारंग कुमार, वैष्णवी मनोहर, रेखा शुक्ला, शिवांगी केसरवानी, प्रतिमा मिश्रा, कमला देवी, साक्षी पाण्डेय, कनिष्का गुप्ता, दिवाकर, अरुण कुमार, मीनाक्षी मिश्रा, मनोज यादव, रेनू सिंह, जया पांडे, शिवानी वर्मा, मनीषा चौहान एवं रंजना कुमारी, रंजना त्रिपाठी, रश्मि शुक्ला रही।
—————
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
