देहरादून, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड सरकार भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर रही हैं। वे विधानसभा सत्र में भी मसूरी के जॉर्ज एवरेस्ट इलाके में 30 हजार करोड़ बाजार मूल्य वाली पर्यटन विभाग की जमीन एक करोड़ रुपये सालाना किराए पर देने का मामला उठा चुके हैं। ये जमीन जिस कंपनी को दी गई थी, वह कंपनी बाबा रामदेव की पतंजलि से संबंध रखती थी।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य शुक्रवार काे यहां पत्रकाराें से वार्ता कर रहे थे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तराखंड टूरिज्म बोर्ड ने मसूरी में एडवेंचर टूरिज्म के लिए एक टेंडर निकाला। टेंडर हासिल करने वाले को 142 एकड़ में फैले स्पॉट में जिसमें म्यूजियम, ऑब्जर्वेटरी, कैफेटेरिया, स्पोर्ट्स एरिया, पार्किंग आदि सबके प्रबंधन का जिम्मा मिलना था। इस जमीन में से उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के उप कार्यकारी अधिकारी ने ‘‘राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राइवेट लिमिटेड’’ को केवल 1 करोड़ रुपये सालाना किराए पर दे दिया है । उन्हाेंने आराेप लगाया कि कंपनी ने मौके पर एक हजार बीघा जमीन कब्जाई है।
उन्होंने आराेप लगाते हुए कहा कि महज एक करोड़ रुपये सालाना के शुल्क साथ बालकृष्ण की कंपनी ने यह टेंडर हासिल किया है। इस टेंडर प्रक्रिया में दूसरे व तीसरे नंबर पर आने वाली कंपनियों की मलकीयत भी बालकृष्ण के पास है। उन्होंने कहा कि कब्जे वाले हिस्से का छोड़ भी दे तो इस 762 बीघा भूमि याने 5744566 वर्ग मीटर भूमि का सरकारी रेटों से मूल्य आज के समय 2757 करोड़ के लगभग है। जमीन का यह रेट सरकारी सर्किल रेट के अनुसार है। व्यवसायिक जमीन का वास्तविक बाजार मूल्य आम तौर पर इसके चार गुना और व्यवसायिक या पर्यटक स्थलों पर 10 गुना तक होता है। यानी ये जमीन 30 हजार करोड़ तक के मूल्य की हो सकती थी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिस भूमि को 15 साल के लिए 1 करोड़ सालाना किराए में दिया गया, उस भूमि को देने से पहले उस भूमि पर एशियाई विकास बैंक से 23 करोड़ रुपए कर्ज लेकर उसे विकसित किया गया था। अब ये तो सरकार और उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग के काबिल अधिकारी ही बता सकते हैं कि, कर्जे के 23 करोड़ खर्च कर जमीन का सजा-धजा कर उसकी सारी कमियां दूर कर 15 साल के लिए राज्य की अरबों की जमीन देकर किराए के रुप में 15 करोड़ कमाने का ये कौन सा विकास का माडल है।
नेता प्रतिपक्ष ने आराेप लगाते हुए कहा कि इस टेंडर की सारी प्रक्रिया ही एक कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए बनायी गयी है। तीनों कम्पनियों के ‘‘बुक आफ एकांउटस’’ के एक ही कार्यालय एक ही पते पर हैं। टेंडर डालने वाली इन तीनों तीनों पारिवारिक कपंनियों में से एक ‘‘ राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड’’ ही सभी शर्तों को पूरा करती थी। टेंडर डालने वाली बाकी दो नई कम्पनियां कोई शर्तें पूरा नहीं करती थी। ये दोनों कम्पनियां किसी न किसी रुप में राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड से जुड़ी थी।
उन्होंने कहा कि टेंडर के दिन टेंडर की शर्तों में परिवर्तन कर दो अयोग्य कम्पनियों को टेंडर में भाग लेने की अनुमति देना उत्तराखण्ड सरकार के वित्त अनुभाग- 7 के 14 जुलाई 2017 की उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति (प्रक्योरमैंट) नियमावली 2017 का उल्लंघन था। इस तरह उत्तराखण्ड की मंसूरी जैसे हिल स्टेशन में खरबों की जमीन एक बेनामी सी कम्पनी जिसका संबध उत्तराखण्ड में जमीनों के सबसे बड़े सौदागरों में से एक ग्रुप से है को उत्तराखण्ड सरकार के काबिल अधिकारियों ने पर्यटन विकास के नाम पर दे दी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस जमीन को कब्जे में लेने के बाद इस कम्पनी ने सबसे पहलें इस जमीन साथ लगी जमीनों और मकानों तक जाने वाले 200 साल से भी पुराने रास्ते को बंद कर दिया। जिसे खुलाने के लिए स्थानीय निवासी आज भी संघर्ष कर रहे हैं। कंम्पनी तीन घंटे की पार्किग के लिए ही 400 रुपये वसूलती है और इस सड़क पर चलने के लिए 200 रुपये प्रति व्यक्ति लेती है।
(Udaipur Kiran) / विनोद पोखरियाल
