
जयपुर, 6 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । शहर के हैरिटेज और ग्रेटर नगर निगमों को समाप्त कर एक नगर निगम गठित करने की अधिसूचना के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में राज्य सरकार की ओर से अपना जवाब पेश कर याचिका को खारिज करने की गुहार की गई है। जिस पर अदालत ने याचिकाकर्ता को अपना प्रति-जवाब पेश करने की छूट देते हुए मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर को रखी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसपी शर्मा और जस्टिस बीएस संधु की खंडपीठ ने यह आदेश कांग्रेस जिला अध्यक्ष आरआर तिवारी की जनहित याचिका पर दिए।
जवाब में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि जनहित याचिका दायर करने वाला कांग्रेस का जिला अध्यक्ष है और बीते साल हवामहल विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड चुका है। ऐसे में जनहित के नाम पर निजी हितों की पूर्ति के लिए यह जनहित याचिका दायर की गई है। दोनों निगमों को विलय करने का निर्णय जनहित को देखते हुए लिया गया है। नगर पालिका अधिनियम की धारा 3 के तहत राज्य सरकार को नगर निगम की सीमाओं में बदलाव का अधिकार है। याचिकाकर्ता के कांग्रेस के लेटर हैड पर अपना अभ्यावेदन दिया था, जिससे साबित है कि याचिका दायर करने में राजनीतिक स्वार्थ छिपा है। दो नगर निगम होने से राजकोष पर वित्तीय भार पड रहा है। दोनों निगमों के लिए अलग-अलग आधारभूत ढांचा यानि प्रशासनिक और अधीनस्थ व मंत्रालयिक स्टाफ चाहिए। इसके अलावा नगर निगमों के उचित संचालन के लिए जमीन, भवन, उपकरण, वाहन व तकनीकी संसाधनों का होना भी जरूरी है। याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा बताया कि इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग की ओर से गत 27 मार्च को जारी की गई अधिसूचना पूरी तरह से मनमानी, असंवैधानिक और कानून के विपरीत है। दोनों निगम को समाप्त कर एक निगम के गठन के दौरान वार्ड को 250 से घटाकर 150 कर दिया जाएगा। निगम सीमा में शामिल 80 गांवों की करीब 1.75 लाख की आबादी को शामिल किया गया है। दोनों निगमों के एकीकरण से बढी हुई आबादी के बावजूद नागरिकों का जनप्रतिनिधित्व कम हो जाएगा।
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(Udaipur Kiran)
