

रांची, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । भारत की आत्मा गांवों में बसती है और गांवों की आत्मा कृषि में है। कृषि केवल उत्पादन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा, परिवार, पर्यावरण और जीवन-दर्शन से जुड़ी हुई है। झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने बुधवार को ये बातें कही। वे रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
राज्यपाल ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की धरती झारखंड की भूमि कृषि, वनों और जैव-विविधता से समृद्ध है। किसान केवल ‘अन्नदाता’ ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के आधार हैं। समाज में किसान का सम्मान ही देश की वास्तविक समृद्धि का प्रतीक है। उन्होंने आह्वान किया कि कृषि को केवल आजीविका नहीं, बल्कि सम्मान और नवाचार के क्षेत्र के रूप में देखा जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कोरोना महामारी के समय जब अनेक क्षेत्र संकटग्रस्त थे, तब कृषि क्षेत्र ने देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा। उन्होंने किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि प्रसार कार्यकर्ताओं को देश का सच्चा विकास-नायक बताया। उन्होंने कहा कि झारखंड एक खनिज-संपन्न राज्य है, बाबजूद इसके इसकी बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है।
राज्यपाल ने जल संरक्षण, सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधीकरण, लघु कृषि मॉडल, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, लाह एवं मशरूम उत्पादन जैसे क्षेत्रों में संभावनाओं पर बल दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड ने दलहन उत्पादन और सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसके लिए राज्य को ‘कृषि कर्मण पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया है। उन्होंने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सूकर नस्ल ‘झारसूक’ की प्रशंसा की, जिसकी देशभर में मांग बढ़ रही है।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से आह्वान किया कि आप जहां भी जाएं, अपनी मातृभूमि, गांव, किसान और अपनी जड़ों से जुड़े रहें। उन्होंने कहा कि प्रगति तभी सार्थक है, जब उसकी रोशनी समाज तक पहुंचे। आप सभी इस विश्वविद्यालय के ब्रांड एम्बेसडर हैं। आपकी उपलब्धियां ही इस संस्थान की पहचान बनेंगी। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह केवल उपाधि प्राप्त करने का अवसर नहीं, बल्कि नई यात्रा की शुरुआत है, जिसमें मेहनत, संघर्ष, सीख, साधना और आत्मविश्वास का समावेश होता है। विद्यार्थी ही विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और पहचान के वाहक होते हैं।
प्रदेश की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने इस मौके पर कहा कि देश में हरित क्रांति के दौर के दौरान 1980 में छोटानागपुर के इलाके में बीएयू की स्थापना हुई। इस कृषि विश्वविद्यालय के साथ उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त जुड़ी है। देश के जीडीपी में कृषि क्षेत्र का 18 प्रतिशत योगदान है। 70 प्रतिशत आबादी वाले समूह की ये भागीदारी वैसे तो कम है, पर देश के किसानों की भूमिका को कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना होगा कि कैसे किसानों की आय में वृद्धि हो? कैसे वो उन्नत कृषि के साथ जुड़ पाएं? कैसे झारखंड के किसान सशक्त बनें? आपके लिए देश और राज्य पहली प्राथमिकता में है। आपकी ईमानदार पहल से किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव संभव है।
उल्लेखनीय है कि दीक्षांत समारोह में छात्राओं ने सफलता का परचम लहराया। कुल 16 स्वर्ण पदकों में से 15 पदक लड़कियों ने जीते, जिनमें दो चांसलर स्वर्ण पदक और 14 विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक शामिल हैं। ये सभी छात्राएं विश्वविद्यालय के सत्र 2018-19 से 20-22 की हैं। दीक्षांत समारोह में कुल 900 से अधिक छात्र- छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गईं।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे