
–सजा भुगतने के लिए समर्पण करने का निर्देश
प्रयागराज, 09 सितम्बर (Udaipur Kiran News) ।इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हत्या के आरोपितविपुल और नरेश की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। किंतु उन्हें शस्त्र अधिनियम के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया गया है और सजा रद्द कर दी है।
कोर्ट ने आरोपितों का बंधपत्र व प्रतिभूति उन्मोचित करते हुए सजा पूरी करने के लिए अदालत में समर्पण करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ तथा न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने सजा के खिलाफ अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।
2007 मे मुजफ्फरनगर में राज कुमार को उनके स्कूल कार्यालय में गोली मार दी गई थी। इस मामले में अपीलकर्ताओं के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया। 2014 में अपर सत्र न्यायाधीश ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास व पचास हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। शस्त्र कानून की अलग सजा दी थी। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दाखिल की गई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी विपुल और नरेश ने जातीय वैमनस्यता के चलते राजकुमार की गोली मारकर हत्या की थी। बचाव पक्ष ने इसका विरोध किया।
अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत हत्या का मकसद सही था और चश्मदीद गवाहों की गवाही दोषसिद्धि को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त थी। कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा लेकिन शस्त्र अधिनियम के तहत दोषसिद्धि और सजा को रद्द कर दिया। अपील आंशिक रूप से स्वीकार हुई।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
